गुजरात के शिक्षा मॉडल की पोल खोलती हुई एक और खबर सामने आई है। जिसमें 8 साल से अमेरिका में सेटल टीचर अभी भी गुजरात सरकार का वेतन ले रही है। यह घटना है गुजरात के अरवल्ली जिले के दांता तालुका की पानसा प्राथमिक स्कूल की।जिसमें शिक्षिका के रूप में कार्यरत भावना पटेल पिछले 8 साल से अमेरिका रहती हैं और वही का ग्रीन कार्ड भी उनके पास है उसके बावजूद सरकारी स्कूल में उनका नाम चल रहा है। साल में एक बार आकर साल भर का वेतन लेने वाली इस शिक्षिका की सेटिंग काफी ऊंची हो ऐसा लगता है क्योंकि साल के 10 महीने अमेरिका में रहने वाली यह शिक्षिका वेतन तो ले रही है लेकिन बच्चों को पढ़ा नहीं रही है।
गुजरात के शिक्षा विभाग की यह सीधी सीधी लापरवाही है की 8 सालों से यह पोलम पोल स्कूल में चल रही है, लेकिन यहां इंस्पेक्शन करने वाला शायद कोई नहीं है, या फिर अधिकारियों के साथ भावना पटेल के रिश्ते इतने मजबूत हैं कि बिना उपस्थिति के 8 साल से इस टीचर को सैलरी मिल रही है, जिस पर स्कूल की इंचार्ज प्राचार्या ने भी आपत्ति जताई है।
अधिकारियों ने नहीं लिया कोई संज्ञान
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भावनाबेन पटेल साल में एक बार दिवाली की छुट्टी के दौरान गुजरात आती हैं। इस दौरान स्कूल बंद रहता है। वहीं स्कूल में पढ़ रहे बच्चों और पैरेंट्स और स्कूल के प्रिंसिपल ने अधिकारियों से उनकी शिकायत की लेकिन उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
अभी भी सरकारी वेतन ले रही हैं भावनाबेन
स्कूल की प्रधानाचार्या ने बताया कि भावना बेन 2013 में शिकागो में बस गई थी। वे सरकारी वेतन ले रही हैं। जैसे ही मुझे इस बात की जानकारी मिली मैंनें तुरंत अधिकारियों को इस घटना के बारे में बताया ताकि बच्चों की पढ़ाई पर हो रहे नुकसान को रोका जा सके।
नो वर्क नो पेमेंट की शर्त के साथ ली थी छुट्टी
वहीं प्राथमिक शिक्षा अधिकारी ने इस मामले पर बताया कि भावनाबेन आखिरी बार 25 जनवरी 2023 को स्कूल में आई थी। इसके बाद 1 जनवरी 2024 से वो नो वर्क नो पेमेंट की शर्त के साथ छुट्टी पर है। उन्हें स्कूल विजिट के दौरान यह जानकारी मिली तो उन्होनें भावनाबेन को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। जिस पर भावनाबेन ने जवाब देते हुए स्वीकार नहीं किया था और शिक्षा विभाग से भावनाबेन के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुशंसा की थी। हालांकि प्राथमिक शिक्षा अधिकारी के दावों के बावजूद भावनाबेन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
गुजरात में वैसे ही शिक्षा की स्थिति काफी दयनीय है और ऐसे में इस तरह के शिक्षक सिर्फ वेतन लेने के लिए स्कूलों में अगर बने रहे तो आखिर कैसे पढेगा गुजरात और कैसे बढ़ेगा गुजरात??