नई दिल्ली। कांग्रेस ने मोदी सरकार की इथेनॉल मिश्रण नीति को लेकर बड़ा हमला बोला है। पार्टी ने आरोप लगाया कि यह नीति आम जनता के बजाय केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बेटों समेत कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने के इरादे से बनाई गई है।
पवन खेड़ा का आरोप
इंदिरा भवन स्थित कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए पार्टी के मीडिया एवं प्रचार विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने कहा कि वोट चोरी के बाद अब मोदी सरकार पेट्रोल चोरी में लिप्त है। उन्होंने 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा किए गए उस वादे का जिक्र किया जिसमें कहा गया था कि नगरपालिका के कचरे से इथेनॉल बनाकर पेट्रोल और डीजल में डाला जाएगा।
खेड़ा ने कहा कि उस समय दावा किया गया था कि इसके बाद पेट्रोल 55 रुपये और डीजल 50 रुपये प्रति लीटर में मिलेगा। 2018 में भी गडकरी ने नगरपालिका कचरे और लकड़ी के बूरे से इथेनॉल उत्पादन की बात दोहराई थी। लेकिन आज तक नगरपालिका कचरे या लकड़ी के बूरे से एक बूंद भी इथेनॉल नहीं बना है।
गडकरी के बेटों पर हितों के टकराव का आरोप
पवन खेड़ा ने नितिन गडकरी के पुत्र निखिल गडकरी और सारंग गडकरी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने बताया कि निखिल गडकरी की कंपनी सियान एग्रो इंडस्ट्रीज इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड एक प्रमुख इथेनॉल आपूर्तिकर्ता है। सारंग गडकरी मानस एग्रो इंडस्ट्रीज में निदेशक हैं।
- सियान एग्रो का राजस्व 18 करोड़ रुपये से बढ़कर 523 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। कंपनी के शेयर की कीमत 37.45 रुपये से बढ़कर 638 रुपये तक पहुंच गई। खेड़ा ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि पिता नीतियां बना रहे हैं और पुत्र पैसा बना रहे हैं।
इथेनॉल नीति के नकारात्मक प्रभाव
कांग्रेस नेता ने बताया कि पेट्रोल में इथेनॉल की मिलावट से वाहनों के इंजनों को नुकसान हो रहा है, माइलेज कम हो रहा है और रखरखाव की लागत बढ़ रही है। उन्होंने नीति आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि माइलेज में 6 प्रतिशत गिरावट को स्वीकार किया गया है, जबकि वास्तविकता में यह नुकसान और अधिक है।
खेड़ा ने आरोप लगाया कि इथेनॉल संयंत्र किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज नहीं खरीद रहे, बल्कि सरकारी स्टॉक पर निर्भर हैं। इससे किसानों की आय प्रभावित हो रही है और राष्ट्रीय खाद्य भंडार पर भी असर पड़ रहा है। इसके अलावा प्रति लीटर इथेनॉल उत्पादन के लिए 3000 लीटर पानी की खपत होती है, जिससे पर्यावरण पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
कांग्रेस के सवाल
पवन खेड़ा ने मोदी सरकार से कई सवाल पूछे: 2014 से 2025 के बीच पेट्रोल-डीजल पर सेस के जरिए कमाए गए 40 लाख करोड़ रुपये का हिसाब कब दिया जाएगा?
क्या लोकपाल गडकरी और उनके बेटों पर लगे आरोपों की जांच करेगा?
इस नीति से किसानों और आम जनता को कितना लाभ हुआ?
ईंधन की कीमतें क्यों नहीं घटीं, जबकि रूस से सस्ता तेल आयात किया गया?
खेड़ा ने आरोप लगाया कि सरकार की 2030 तक 30 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण की योजना से चीनी की कीमतें बढ़ रही हैं, जिससे उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह नीति केवल गडकरी परिवार और उनके सहयोगियों को फायदा पहुंचा रही है।