उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (UP STF) ने टोल टैक्स घोटाले का बड़ा खुलासा किया है, जिससे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और अन्य संबंधित अधिकारियों की नींद उड़ गई है। इस घोटाले में टोल प्लाजा पर फास्टैग रहित वाहनों से समांतर सॉफ्टवेयर के जरिए करोड़ों रुपये की हेराफेरी की जा रही थी।
घोटाले का पर्दाफाश और गिरफ्तारियां
STF ने इस घोटाले में शामिल तीन आरोपियों को मिर्जापुर के शिवगुलाम टोल प्लाजा, अतरौली थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए लोगों में वाराणसी के आलोक कुमार सिंह, मध्य प्रदेश के मनीष मिश्रा, और प्रयागराज के राजीव कुमार मिश्रा शामिल हैं। इनसे लैपटॉप, प्रिंटर, एक मारुति कार, और अन्य उपकरण भी बरामद किए गए हैं।
कैसे चलता था घोटाला?
- सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल:
आरोपी आलोक कुमार सिंह ने सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में अपनी विशेषज्ञता का इस्तेमाल कर एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया, जो टोल प्लाजा पर फास्टैग और अन्य डिजिटल सिस्टम को दरकिनार कर घोटाला करने में मदद करता था। - ऑनलाइन एक्सेस:
यह सॉफ्टवेयर आलोक के निजी लैपटॉप से सीधे जुड़ा था, जिससे वह टोल टैक्स संग्रहण में हेरफेर कर सकता था। - दैनिक राजस्व चोरी:
अकेले अतरौली शिवगुलाम टोल प्लाजा पर हर दिन औसतन ₹45,000 का घोटाला किया जा रहा था।
पूछताछ के खुलासे
आरोपी आलोक कुमार ने बताया कि उसने एमसीए (मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन) किया है और पहले टोल प्लाजा पर काम कर चुका है। उसने रिद्धि सिद्धि कंपनी के साथ काम करने के दौरान टोल प्लाजा से जुड़ी कंपनियों और फार्मों के संपर्क में आकर इस घोटाले की योजना बनाई।
STF की कार्रवाई और NHAI का रुख
STF ने इस घोटाले में शामिल अन्य टोल प्लाजा और कर्मियों की जांच शुरू कर दी है। वहीं, NHAI ने इस घटना के बाद सभी टोल प्लाजा प्रबंधकों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे अपने सिस्टम की जांच करें और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी रोकने के लिए पारदर्शी और मजबूत तकनीकी उपाय अपनाएं।
NHAI के निर्देश:
- सभी टोल प्लाजा पर फास्टैग सिस्टम को पूरी तरह लागू करना अनिवार्य।
- समांतर सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल पर कड़ी निगरानी।
- किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत संबंधित अधिकारियों को देना।
भविष्य की कार्रवाई
UP STF अन्य टोल प्लाजा की जांच कर रही है, ताकि इस नेटवर्क के सभी दोषियों को कानून के दायरे में लाया जा सके। NHAI ने भी राष्ट्रीय राजमार्गों पर इस तरह की धोखाधड़ी रोकने के लिए निगरानी बढ़ाने का आश्वासन दिया है।
यह मामला दर्शाता है कि कैसे तकनीक का दुरुपयोग करके बड़े पैमाने पर राजस्व चोरी की जा सकती है, लेकिन STF की कार्रवाई और NHAI के कदमों से ऐसी धोखाधड़ी पर लगाम लगने की उम्मीद है।