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Saturday, May 17, 2025

पीड़िता ने खुद ही मुसीबत को न्योता दिया…

रेप के आरोपी को जमानत देते हुए बोले जस्टिस सिद्धार्थ

इलाहाबाद: उत्तर प्रदेश की हाईकोर्ट इन दिनों खूब सुर्खियों में है। कभी जजों की नियुक्ति को लेकर, तो कभी मामलों के फैसले सुनाने के दौरान की गई टिप्पणियों को लेकर चर्चा हो रही है। हाल ही में हाईकोर्ट की तरफ से रेप मामले की सुनवाई के दौरान की गई टिप्पणी, जिसमें जस्टिस सिद्धार्थ ने आरोपी को ज़मानत दी, एक बार फिर विवाद में आ गई है।

हाईकोर्ट की टिप्पणी से सुप्रीम कोर्ट भी हैरान

इस टिप्पणी को लेकर पहले भी सुप्रीम कोर्ट नाराज़गी जता चुका है। इसके बावजूद जस्टिस सिद्धार्थ द्वारा दिए गए बयान को लेकर सोशल मीडिया पर आलोचना हो रही है। कई यूज़र्स और विधिक विशेषज्ञों ने कहा कि यह टिप्पणी महिलाओं की गरिमा के खिलाफ है।

सोशल मीडिया पर उठे सवाल

सोशल मीडिया पर जस्टिस सिद्धार्थ की टिप्पणी की तीखी आलोचना हो रही है। कई लोग कह रहे हैं कि इस तरह की टिप्पणियां न्यायपालिका की सोच को दर्शाती हैं। वहीं कुछ लोग इसपर सुप्रीम कोर्ट से संज्ञान लेने की मांग कर रहे हैं।

सबसे ज्यादा जज वाला हाईकोर्ट

पूरे देश में सबसे अधिक जज इलाहाबाद हाईकोर्ट में हैं। यहां कुल 160 जज कार्यरत हैं। वहीं आंध्र प्रदेश में 37, बॉम्बे में 94, कलकत्ता में 72, मद्रास में 75, पंजाब एवं हरियाणा में 85, दिल्ली में 60, गुजरात में 52, कर्नाटक में 62, केरल में 47, मध्य प्रदेश में 53 जज हैं। इन सभी में जस्टिस सिद्धार्थ का नाम अब एक प्रमुख चर्चा का विषय बन गया है।

न्यायपालिका की सोच पर उठे सवाल

जस्टिस सिद्धार्थ की टिप्पणी के बाद फिर यह बहस छिड़ गई है कि क्या अदालतें यौन शोषण जैसे संवेदनशील मामलों में निष्पक्ष और संवेदनशील रवैया अपना रही हैं। न्याय विशेषज्ञों का कहना है कि पीड़िता को जिम्मेदार ठहराने वाली भाषा उचित नहीं मानी जा सकती।

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