प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को महाराष्ट्र के जलगांव में ‘लखपति दीदियों’ से बातचीत की। ‘लखपति दीदी’ स्वयं सहायता समूहों की उन महिलाओं को कहा जाता है जो सालाना एक लाख रुपये कमा रही हैं। प्रधानमंत्री 11 लाख नई लखपति दीदियों को सम्मानित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं। जलगांव में महिलाओं के एक समूह ने प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया, जिसके बाद उन्होंने कुछ स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की सदस्यों से बातचीत की।
क्या है लखपति दीदी योजना?
दरअसल, मोदी सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए लखपति दीदी योजना शुरू की थी। जिसके तहत सरकार पात्र महिलाओं को 1 से 5 लाख तक का ब्याज मुक्त लोन प्रदान करती है। इस योजना का लाभ लेने के लिए महिलाओं का स्वयं सहायता समूह से जुड़ा होना जरूरी है। देश भर में इस समय करीब 83 लाख स्वयं सहायता समूह यानी सेल्फ हेल्प ग्रुप्स (Self Help Group) से 9 करोड़ महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इसके बाद सरकार महिलाओं को फाइनेंशियल और स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग देती हैं जिससे की वो आत्मनिर्भर हो सके।
ये गांव के पूरे अर्थतंत्र को बदल रही
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “लखपति दीदी बनाने का ये अभियान, सिर्फ बहनों-बेटियों की कमाई बढ़ाने का ही अभियान नहीं है। ये पूरे परिवार को, आने वाली पीढ़ियों को सशक्त करने का महा अभियान है। ये गांव के पूरे अर्थतंत्र को बदल रही हैं। यहां मौजूद बहन बेटियां जानती हैं कि जब वो कामने लगती हैं तो उनके अधिकार का दायरा बढ़ जाता है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा, “लोकसभा चुनाव के दौरान जब मैं आपके पास आया था, तो मैंने कहा था कि हमें 3 करोड़ बहनों को लखपति दीदी बनाना है। इसका मतलब है कि जो महिलाएं स्वयं सहायता समूहों में काम करती हैं और उनकी सालाना आय एक लाख रुपये से अधिक है। पिछले 10 साल में एक करोड़ लखपति दीदी बनीं और सिर्फ दो महीने में 11 लाख और लखपति दीदी एक करोड़ बन गईं।