लातूर — महाराष्ट्र के लातूर जिले के अहमदपुर तालुका में एक बुज़ुर्ग किसान अंबादास पवार और उनकी पत्नी मुक्ताबाई ने हालात के आगे झुकने की बजाय उनसे लड़ने का रास्ता चुना। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में अंबादास खुद हल खींचते नजर आ रहे हैं, जबकि उनकी पत्नी पीछे से हल संभालती हैं। इस मार्मिक दृश्य ने हर किसी की आंखें नम कर दी हैं।
बैल और ट्रैक्टर नहीं, मजबूरी में खुद बने सहारा
पिछली फसल बेमौसम बारिश और सूखे की मार से तबाह हो चुकी थी। आर्थिक तंगी के कारण अंबादास के पास बैल, ट्रैक्टर या मजदूर तक का इंतजाम नहीं था। ऐसे में उन्होंने खुद ही खेत जोतने का कठिन निर्णय लिया। उनकी पत्नी मुक्ताबाई ने भी उनका साथ दिया। खेत की जुताई करते इस बुज़ुर्ग दंपति का वीडियो लोगों को झकझोर रहा है।
2.5 एकड़ की जमीन, सारी जिम्मेदारी बूढ़े कंधों पर
अंबादास पवार के पास केवल ढाई एकड़ जमीन है। उनका बेटा मजदूरी के लिए शहर गया हुआ है और परिवार में बहू व दो पोते उनके साथ रहते हैं। बेटी की शादी हो चुकी है और वह ससुराल में रहती है। खेत की जुताई से लेकर कटाई तक की पूरी जिम्मेदारी अंबादास और उनकी पत्नी पर आ गई है।
मिट्टी से जुड़ाव ने दी हिम्मत
अंबादास पवार ने कहा, “हमारी हिम्मत इस मिट्टी से जुड़ी है। खेती हमारी जिंदगी है। उम्र भले बढ़ गई है, लेकिन मेहनत से पीछे नहीं हट सकते।” उनका यह जज़्बा न सिर्फ किसानों की स्थिति की सच्चाई बयां करता है, बल्कि सरकारी तंत्र की उदासीनता पर भी सवाल उठाता है।
बढ़ती लागत, कम होती उम्मीद
बीज, खाद, मजदूरी और जुताई की लागत दिनोंदिन बढ़ रही है, जिससे सीमांत किसान संघर्ष कर रहे हैं। यह कहानी उस कठोर सच्चाई को उजागर करती है जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है — कि आज भी देश में कई किसान ऐसे हैं जिनके पास जीने और खेती करने के साधन तक नहीं हैं।