बीकानेर (राजस्थान)। डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती से ठीक पहले बीकानेर ज़िले के गैरसर गांव में उनकी प्रतिमा के साथ शर्मनाक हरकत ने पूरे क्षेत्र में आक्रोश की लहर दौड़ा दी है। यह घटना सिर्फ एक मूर्ति के साथ बदसलूकी नहीं, बल्कि करोड़ों दलितों, वंचितों और सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वालों के आत्मसम्मान पर गहरा आघात है।

सामाजिक न्याय के प्रतीक के साथ दुर्व्यवहार
बाबासाहेब अंबेडकर न केवल भारतीय संविधान के निर्माता थे, बल्कि वे समानता, स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय के प्रतीक भी हैं। उनके विचारों और आदर्शों का अपमान करना, भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और संविधान की भावना के खिलाफ माना जा रहा है।
विपक्ष ने सरकार पर उठाए सवाल
घटना के बाद राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने सख्त प्रतिक्रिया दी है। कई नेताओं ने इस मामले को “विचारधारा आधारित हमला” बताते हुए भाजपा सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है — बीते वर्षों में संविधान निर्माता और अन्य महापुरुषों की प्रतिमाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं बार-बार सामने आती रही हैं।
पीड़ित समाज ने की गिरफ्तारी की मांग
गांव के लोगों और दलित संगठनों ने दोषियों की तुरंत गिरफ्तारी और कठोर कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि जब तक ऐसी घटनाओं पर कड़ी सज़ा नहीं दी जाएगी, तब तक यह सिलसिला नहीं रुकेगा।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
प्रशासन ने मामला संज्ञान में लेते हुए जांच शुरू कर दी है और दोषियों की पहचान करने के लिए सीसीटीवी फुटेज और स्थानीय चश्मदीदों की मदद ली जा रही है। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।