कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूखंड आवंटन घोटाले के संदर्भ में राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के फैसले को संविधान विरोधी और कानून के खिलाफ बताया है। उन्होंने शनिवार को स्पष्ट किया कि वे इस्तीफा नहीं देंगे और कानूनी रूप से इसका सामना करेंगे।
मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, यह निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने की एक बड़ी साजिश है। भाजपा और अन्य दलों ने दिल्ली, झारखंड जैसे कई राज्यों में ऐसा किया है, और अब कर्नाटक में भी यही खेल खेला जा रहा है| सिद्धारमैया ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार, भाजपा, जद(एस) और अन्य इस साजिश में शामिल हैं|
सिद्धारमैया ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान, पूरा मंत्रिमंडल, और सभी कांग्रेस विधायक उनके साथ हैं| उन्होंने विपक्षी दलों पर राजभवन को राजनीतिक मोहरे के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और कहा कि राज्यपाल केंद्र सरकार के हाथों की कठपुतली के रूप में काम कर रहे हैं|
राज्यपाल गहलोत ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17 ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत सिद्धारमैया के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी दी है| इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें इस तरह के निर्णय की उम्मीद थी, क्योंकि राज्यपाल ने 26 जुलाई को याचिका प्राप्त होते ही उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया था।
मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि जब नवंबर में जद(एस) नेता एच डी कुमारस्वामी और भाजपा के पूर्व मंत्रियों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी के अनुरोध वाली याचिकाएं दायर की गईं, तो उनके खिलाफ नोटिस जारी क्यों नहीं किया गया। सिद्धारमैया ने इस मामले को एक बड़ी साजिश बताते हुए आरोप लगाया कि उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया गया है।
इससे पहले, अधिवक्ता-कार्यकर्ता टी जे अब्राहम द्वारा दायर याचिका के आधार पर राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को निर्देश दिया था कि वे सात दिन के भीतर आरोपों पर अपना जवाब प्रस्तुत करें। सिद्धारमैया ने स्पष्ट किया कि वह अदालत में इस मामले का कानूनी तरीके से सामना करेंगे और किसी भी दबाव के आगे झुकने का इरादा नहीं रखते।
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