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Saturday, April 26, 2025

“300 साल बाद उदयपुर दरबार का ऐतिहासिक आमंत्रण, राजपुरोहितों के पांच गाँवों का सिटी पैलेस में सम्मान!”

टूटे रिश्तों को जोड़ने में डॉ. लक्ष्यराज की ऐतिहासिक पहल

उदयपुर: उदयपुर के सिटी पैलेस से 300 वर्षों बाद एक ऐतिहासिक बुलावा भेजा गया है। यह आमंत्रण मेवाड़ के गेनड़ी, पिलोवणी, वणदार, रूंगड़ी और शिवतलाव गाँवों के राजपुरोहितों के लिए है। बुधवार को इन गाँवों के 130 से अधिक बुजुर्ग सिटी पैलेस पहुंचेंगे, जहां डॉक्टर लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ उन्हें ससम्मान शंभू निवास ले जाएंगे। इस पहल के माध्यम से उन्होंने न केवल अपने पूर्वजों की परंपरा को पुनर्जीवित किया है, बल्कि समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश भी दिया है।

हल्दीघाटी युद्ध के बाद मिला था पांच गाँवों का जागीरदान

वणदार गाँव के 55 वर्षीय राजपुरोहित दारा सिंह ने बताया कि महाराणा प्रताप के साथ हल्दीघाटी का युद्ध लड़ते हुए नारायण दास राजपुरोहित वीरगति को प्राप्त हुए थे। उनकी वीरता और बलिदान के सम्मान में महाराणा ने उनके वंशजों को गेनड़ी, पिलोवणी, वणदार, रूंगड़ी और शिवतलाव गाँव जागीर में दिए थे। यह पाँचों गाँव सदियों से मेवाड़ का अभिन्न हिस्सा रहे हैं और सिटी पैलेस से इनके गहरे संबंध रहे हैं।

राखी-चूंदड़ की परंपरा और उसका टूटना

पूर्व में इन गाँवों की बहन-बेटियाँ हर वर्ष सिटी पैलेस में राखी भेजती थीं, और बदले में राजमहल से उनके लिए चूंदड़ (परंपरागत चुनरी) भेजी जाती थी। यह परंपरा लंबे समय तक चली, लेकिन अचानक महल की ओर से चूंदड़ भेजना बंद हो गया। इसके बावजूद, गाँवों की महिलाओं ने अगली तीन दशकों तक राखी भेजना जारी रखा, यह उम्मीद करते हुए कि दरबार की ओर से पुनः जवाब मिलेगा।

परंपरा का टूटना और 300 सालों का इंतजार

जब पैलेस की ओर से कोई जवाब नहीं आया, तो गाँव की बहन-बेटियों ने अपने बुजुर्गों से संकल्प लिया कि जब तक दरबार से बुलावा नहीं आएगा, तब तक गाँवों से कोई भी राजपुरोहित महलों में प्रवेश नहीं करेगा। यह निर्णय सम्मान और स्वाभिमान का प्रतीक था। धीरे-धीरे यह परंपरा समाप्त हो गई और तीन शताब्दियों तक यह रिश्ता ठहर सा गया।

डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ की ऐतिहासिक पहल

अब, अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके पुत्र डॉक्टर लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने इस ऐतिहासिक परंपरा को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से इन गाँवों को सिटी पैलेस आने का आमंत्रण भेजा। यह न केवल बीते 300 वर्षों से ठहरी हुई परंपरा को पुनः जीवंत करने की पहल है, बल्कि मेवाड़ के गौरवशाली अतीत और संबंधों को फिर से सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।

बुधवार को पांच बसों से आएंगे गाँव के बुजुर्ग

इस बुलावे के बाद पाँचों गाँवों में हर्ष का माहौल है। बुधवार को पाँच बसों में सवार होकर 130 से अधिक बुजुर्ग सिटी पैलेस पहुंचेंगे। यहाँ डॉक्टर लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ उनका स्वागत और सम्मान करेंगे।

इतिहास फिर से हुआ जीवंत!

300 साल बाद फिर से सजीव हुई इस परंपरा ने यह सिद्ध किया है कि इतिहास और रिश्तों की जड़ें कितनी गहरी होती हैं। डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ की इस पहल ने इन गाँवों के लोगों को फिर से सिटी पैलेस से जोड़ दिया है, जिससे यह ऐतिहासिक संबंध पुनः मजबूती से स्थापित हो सकेगा।

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