सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली-NCR में पटाखों पर प्रतिबंध को लेकर सुनवाई हुई, जहां अदालत ने साफ कर दिया कि बैन जारी रहेगा। कोर्ट ने NCR राज्यों को निर्देश दिया कि वे इस प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए ठोस कदम उठाएं और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करें। इस दौरान कोर्ट में एक दिलचस्प वाकया भी सामने आया, जब एक व्यक्ति ने पटाखों को प्रदूषण का कारण मानने से इनकार कर दिया और अपनी अनोखी दलीलें पेश कीं।
IIT इंजीनियर की दलील और कोर्ट की प्रतिक्रिया
सुनवाई के दौरान एक व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हुआ और पटाखों पर बैन का विरोध किया। उसने दावा किया कि पटाखे पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं बल्कि फायदेमंद होते हैं। इतना ही नहीं, उसने इसे एक “अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र” करार दिया और कहा कि पटाखों पर पाबंदी का फैसला गलत है।
इस पर जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका ने उससे पूछा कि क्या वह विशेषज्ञ है? इस पर व्यक्ति ने जवाब दिया, “हां, मैं IIT से पढ़ा हुआ इंजीनियर हूं।” इस व्यक्ति की पहचान मुकेश जैन के रूप में हुई, जिसने अदालत में जाने-माने पर्यावरणविद् एम. सी. मेहता पर भी गंभीर आरोप लगाए और कहा कि वे देश विरोधी संस्थाओं से फंड लेते हैं।
जजों की कड़ी प्रतिक्रिया, लग सकता था जुर्माना
मुकेश जैन की इन दलीलों पर सुप्रीम कोर्ट के जज भड़क गए और कहा कि इस व्यक्ति को यह भी नहीं पता कि एम. सी. मेहता कौन हैं और उन्होंने पर्यावरण के लिए कितना काम किया है। कोर्ट ने उसे चेतावनी देते हुए कहा कि इस बार उसे छोड़ रहे हैं, लेकिन भविष्य में इस तरह की गलत और भ्रामक दलीलों पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
गौरतलब है कि मुकेश जैन पहले भी विवादों में रह चुका है और सुप्रीम कोर्ट उस पर पहले भी जुर्माना लगा चुका है।
पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट का रुख स्पष्ट
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में दोहराया कि जब तक यह साबित नहीं हो जाता कि ग्रीन पटाखों से नगण्य प्रदूषण होता है, तब तक बैन जारी रहेगा। कोर्ट ने कहा कि स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण में जीने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों का मौलिक अधिकार है।
अदालत ने यह भी कहा कि प्रदूषण से सबसे अधिक प्रभावित वे लोग होते हैं जो सड़कों पर या खुले इलाकों में काम करते हैं और जो महंगे एयर प्यूरिफायर नहीं खरीद सकते। यही वजह है कि दिल्ली-NCR में प्रदूषण के गंभीर स्तर को देखते हुए पटाखों पर बैन जारी रखने का फैसला लिया गया था।