रायगढ़ : राजनीति में कब किसका भाग्य बदल जाए, कोई नहीं जानता। रायगढ़ में सियासी दिग्गजों को पीछे छोड़ते हुए एक साधारण चाय बेचने वाले जीवर्धन चौहान ने मेयर पद पर शानदार जीत दर्ज की। बीजेपी ने जब उन्हें टिकट दिया था, तो कई लोग चौंक गए थे, लेकिन जनता ने उनके पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
चाय की दुकान से मेयर की कुर्सी तक का सफर
जीवर्धन चौहान वर्षों से चाय की दुकान चला रहे थे। जब बीजेपी ने उन्हें रायगढ़ मेयर पद के लिए उम्मीदवार बनाया, तो कांग्रेस को अपनी जीत आसान लग रही थी। लेकिन जनता ने बीजेपी के वादों और जीवर्धन के जनसेवा के संकल्प को प्राथमिकता दी।
मुख्यमंत्री ने की थी जीवर्धन की दुकान पर चाय की चर्चा
चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जीवर्धन चौहान की दुकान पर खुद चाय बनाकर जनता को पिलाई थी। यह चुनावी रणनीति असरदार साबित हुई और जीवर्धन ने 34,000 मतों के भारी अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी जानकी काटजू को पराजित किया।
रायगढ़ की जनता ने फिर दिखाया बदलाव का जज्बा
यह पहली बार नहीं है जब रायगढ़ की जनता ने बड़ा बदलाव किया हो। 2014 में भी रायगढ़ से किन्नर मधु बाई ने निर्दलीय चुनाव जीतकर इतिहास रचा था। इस बार भी जनता ने परंपरागत नेताओं को छोड़कर एक आम आदमी को चुना।
बीजेपी की रणनीति और चौहान का सफर
भाजपा ने साफ-सुथरी छवि और जमीनी कार्यकर्ता को आगे लाने की रणनीति अपनाई। जीवर्धन चौहान 1998 में वार्ड अध्यक्ष बने, फिर 2004 में भाजयुमो नगर कार्यकारिणी में शामिल हुए। 2005 में उन्हें नगर मंत्री, 2008 में महामंत्री, और 2011 में नगर अध्यक्ष बनाया गया। 2019-2024 तक वे शक्ति केंद्र कॉर्डिनेटर के रूप में सक्रिय रहे।
अब जिम्मेदारी बड़ी, जनता की उम्मीदें ऊंची
जीवर्धन चौहान ने अपनी जीत को जनता की जीत बताया और कहा कि वे रायगढ़ के विकास के लिए पूरी निष्ठा से काम करेंगे। अब देखना होगा कि एक चाय बेचने वाला व्यक्ति मेयर की कुर्सी पर बैठकर शहर के विकास में क्या बदलाव लाता है।