जहानाबाद: जहानाबाद की फरहा निशात ने 32वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा पास कर ली है। वह अब जज बनेंगी। फरहा, देशद्रोह के मामले में जेल में बंद शरजील इमाम की चचेरी बहन हैं। इस खुशखबरी से शरजील का परिवार बेहद खुश है। फरहा की इस उपलब्धि ने पूरे जहानाबाद को गौरवान्वित किया है। वह खासतौर पर महिलाओं और युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं।
शरजील के जेल जाने के बाद परिवार के लिए पहली खुशी
फरहा निशात (28) ने कड़ी मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल किया है। उनकी सफलता से उनके परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई है। शरजील इमाम के जेल जाने के बाद उनके परिवार के लिए यह पहला खुशी का मौका है। फरहा की कामयाबी ने उनके परिवार के चेहरों पर मुस्कान लौटा दी है। यह मुस्कान किसी और ने नहीं, बल्कि फरहा ने ही दी है।
फरहा ने सुप्रीम कोर्ट में लॉ क्लर्क के रूप में किया हैं काम
फरहा की शुरुआती पढ़ाई काको में हुई। उनकी मां अकबरी खातून गृहिणी हैं। उनके पिता निशात अख्तर सरकारी नौकरी से रिटायर हो चुके हैं। फरहा ने CLAT परीक्षा पास की। उसके बाद हिदायतुल्लाह नेशनल यूनिवर्सिटी, रायपुर से 2018 में कानून की पढ़ाई पूरी की। फरहा ने सुप्रीम कोर्ट में लॉ क्लर्क और रिसर्च असिस्टेंट के रूप में भी काम किया। यहां उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया को करीब से समझा। इसके बाद उन्होंने बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की।
फरहा निशात को क्या पसंद?
फरहा अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, बहन-बहनोई और छोटे भाई-बहनों को देती हैं। उन्होंने सेल्फ स्टडी और परिवार के मार्गदर्शन से प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा पास की। इंटरव्यू की तैयारी के लिए उन्होंने कुछ संस्थानों की मदद ली। फरहा को किताबें पढ़ना, बच्चों को पढ़ाना और सीरियल देखना पसंद है। वह कहती हैं कि वह जल्द और न्यायपूर्ण फैसले देकर समाज की सेवा करना चाहती हैं।
शरजील के छोटे भाई ने लिखा भावुक पोस्ट
फरहा की इस उपलब्धि पर लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं। शरजील के छोटे भाई मुज्जम्मिल इमाम ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘जिंदगी का यही फलसफा है। एक तरफ भाई जुल्म के खिलाफ इंसाफ की लड़ाई लड़ने के लिए जेल में, तो दूसरी तरफ बहन जुल्म के खिलाफ इंसाफ देने के लिए अब जज की कुर्सी पर बैठेंगी। छोटी बहन फरहा निशात 32वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में उत्तीर्ण हुई। मुझे उम्मीद है कि अपने कार्यकाल में तुम अपने फैसलों से किसी बेगुनाह के साथ जुल्म नहीं होने दोगी।’