बाड़मेर: बाड़मेर के शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी और भजनलाल सरकार के बीच टकराव बढ़ गया है। यह टकराव भारत-पाकिस्तान की सीमा पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम को लेकर है। भाटी ने 12 जनवरी को रोहिड़ी गांव में युवा दिवस के मौके पर म्यूजिक फेस्टिवल ‘द रोहिड़ी फेस्ट’ आयोजित करने की योजना बनाई थी। इसके लिए पहले गडरा रोड एसडीएम की ओर से अनुमति दी गई थी, लेकिन बाड़मेर जिला कलेक्टर टीना डाबी ने इस कार्यक्रम की अनुमति को सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए रद्द कर दिया।
सुरक्षा कारणों का हवाला
भाटी का कहना था कि यह फेस्टिवल जैसलमेर के सम के धोरों की तरह रोहिड़ी के धोरों को भी लोकप्रिय बनाने का एक प्रयास है, जिससे बाड़मेर के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। भाटी के मुताबिक, इस कार्यक्रम में देशभर से लोग भाग लेंगे और इससे बाड़मेर में पर्यटन को नया विस्तार मिलेगा। हालांकि, जिला कलेक्टर ने 8 जनवरी को आदेश जारी किया जिसमें कहा गया कि सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार कार्यक्रम के आयोजन से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है। इसके पीछे मुख्य कारण था कि यह कार्यक्रम भारत-पाकिस्तान सीमा के पास आयोजित किया जा रहा था, जहां सुरक्षा की स्थिति नाजुक मानी जाती है।
सियासी रंग में बदलते घटनाक्रम
इस फैसले के बाद मामला सियासी रंग लेने लगा है। रविन्द्र सिंह भाटी एक निर्दलीय विधायक हैं और सोशल मीडिया पर उनकी जबरदस्त फॉलोइंग है। पश्चिमी राजस्थान के युवा नेता के रूप में उनका उभरना पार्टी राजनीति में बड़ा बदलाव लाने की ओर इशारा कर रहा है। भाटी ने बीते विधानसभा चुनावों में शिव से निर्दलीय चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्होंने पहले बीजेपी में शामिल होने का निर्णय लिया था। हालांकि, जब उन्हें टिकट नहीं मिला, तो उन्होंने बगावत की और निर्दलीय चुनाव लड़ा और वहां से जीत हासिल की।
लोकसभा चुनाव और राजनीतिक जंग
भाटी की लोकप्रियता ने उन्हें लोकसभा चुनावों में भी सुर्खियों में ला दिया था। वे बीजेपी और कांग्रेस से हटकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर चुनाव मैदान में उतरे थे। भाटी की चुनावी सभाओं में युवाओं की भारी भीड़ उमड़ी थी, जिससे वे देशभर में चर्चा में आ गए थे। हालांकि, वे कांग्रेस के कड़े मुकाबले में हार गए, लेकिन उनकी लोकप्रियता ने बीजेपी को भारी नुकसान पहुँचाया। बीजेपी के उम्मीदवार कैलाश चौधरी इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे, जबकि भाटी ने कांग्रेस के उम्मीदवार से कड़ा मुकाबला किया।
बीजेपी की रणनीति
भाटी के बढ़ते प्रभाव के कारण बीजेपी को मुश्किलें आ रही हैं। उनके मैदान में उतरने से बाड़मेर में बीजेपी का वोट बैंक खिसक गया था, जिससे पार्टी को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा। अब माना जा रहा है कि रोहिड़ी में कार्यक्रम की अनुमति देने और फिर उसे रद्द करने के निर्णय को भी बीजेपी की एक रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। यह राजनीतिक अदावत और भाटी के बढ़ते प्रभाव को लेकर एक कदम हो सकता है, जो आगामी चुनावों में बीजेपी के लिए चुनौती पैदा कर सकता है।
रविंद्र भाटी समर्थकों का दावा: भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष के दबाव में प्रशासन ने लिया ‘रोहिड़ी महोत्सव’ पर फैसला
रविंद्र सिंह भाटी के ‘रोहिड़ी महोत्सव’ की मंजूरी रद्द होने के बाद उनके समर्थकों में भारी गुस्सा देखा जा रहा है। भाटी के समर्थक इस घटनाक्रम को राजनीतिक द्वेष से जोड़ते हुए आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष स्वरूप सिंह खारा के दबाव में जिला प्रशासन ने इस कार्यक्रम पर रोक लगाई है। सोशल मीडिया पर ‘#थारघातकभाजपा’ के हैशटैग के साथ इस मामले का विरोध किया जा रहा है।
भाजपा नेता का कार्यक्रम भी हुआ था बिना रोक के
रविंद्र भाटी के समर्थकों का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा नेता स्वरूप सिंह खारा ने बाखासर इलाके में भी एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया था, जो भारत-पाक सीमा के पास था। इस कार्यक्रम में हजारों लोग शामिल हुए थे और उस समय सीमा सुरक्षा पर कोई खतरा नहीं बताया गया था। लेकिन भाटी के कार्यक्रम को सुरक्षा कारणों से रद्द कर दिया गया, जो उनके अनुसार राजनीतिक दुर्भावना का परिणाम है।
सोशल मीडिया पर नाराजगी बढ़ी
भाटी के समर्थक सोशल मीडिया पर इस फैसले का विरोध कर रहे हैं, और उनके अनुसार यह निर्णय बाड़मेर के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम को निरस्त करने जैसा है। भाटी ने कार्यक्रम के माध्यम से बाड़मेर के रोहिड़ी इलाके को जैसलमेर के सम की तरह प्रसिद्ध बनाने का लक्ष्य रखा था, जिससे वहां का पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सके। लेकिन कार्यक्रम की रद्दीकरण के बाद जिले के नागरिकों में निराशा फैल गई है।