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Tuesday, July 8, 2025

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भाजपा विधायक प्रकाश द्विवेदी ने SDM और पुलिसवालों को जड़े तमाचे!

बांदा। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के गिरवां थाना क्षेत्र में रविवार देर रात प्रशासनिक कार्रवाई के दौरान जमकर हंगामा देखने को मिला। एसडीएम नरैनी अमित शुक्ला और सीओ कृष्णकांत त्रिपाठी रात करीब 1 बजे पैगंबरपुर के पास ओवरलोड मौरंग ट्रकों की जांच कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने “जय कामतानाथ” लिखे दो ओवरलोड ट्रकों को पकड़कर सीज कर दिया और थाने ले जाने लगे। यहीं से सियासी हस्तक्षेप और टकराव की शुरुआत हुई।

विधायक का फोन कॉल और दबाव

बताया जा रहा है कि जैसे ही ओवरलोड ट्रकों की सूचना फैली, बांदा सदर से बीजेपी विधायक प्रकाश द्विवेदी ने प्रशासनिक अधिकारियों को फोन कर ट्रकों को छोड़ने का दबाव बनाया। हालांकि एसडीएम और सीओ ने नियमों का हवाला देते हुए किसी भी प्रकार की रियायत देने से इनकार कर दिया। इसके बाद मामला और गरमा गया।

मौके पर पहुंचे विधायक, हाथापाई के आरोप

विधायक प्रकाश द्विवेदी देर रात करीब पांच गाड़ियों के काफिले के साथ मौके पर पहुंचे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, वहां पहुंचते ही विधायक और एसडीएम के बीच तीखी बहस हुई, जो जल्द ही हाथापाई में बदल गई। आरोप है कि विधायक ने एसडीएम अमित शुक्ला को दो थप्पड़ मारे और बीच-बचाव करने आए दीवान को भी नहीं बख्शा।

चौकी में भी हंगामा, दीवान पर हमला

घटना यहीं नहीं थमी। विधायक इसके बाद खुरहंड पुलिस चौकी पहुंचे, जहाँ उन्होंने फिर से एक घंटे तक हंगामा किया। यहां पर भी उन्होंने दीवान विजय सिंह पर हाथ उठाया। घायल दीवान को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस घटनाक्रम से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया।

अंत में माफी और सरेंडर की बात

हंगामे के बाद विधायक ने खुद को पुलिस के समक्ष प्रस्तुत किया और अधिकारियों से माफी मांगी। हालांकि, इस पूरे मामले ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या जनप्रतिनिधि अब कानून से ऊपर हो गए हैं?

पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना

यह पहली बार नहीं है जब ओवरलोड मौरंग ट्रकों के मुद्दे पर जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के बीच टकराव हुआ हो। अप्रैल में नरैनी विधायक ओममणि वर्मा के पति ने भी इसी तरह की कार्रवाई के दौरान एसडीएम पर हाथ उठाया था। वह मामला भी बाद में दबा दिया गया।

सत्ता की ठोकर या कानून का सम्मान?

बांदा की यह घटना न केवल सत्ता और प्रशासन के बीच टकराव को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि ओवरलोडिंग जैसे गंभीर मुद्दे पर भी राजनीति किस हद तक जा सकती है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी सख्ती दिखाता है या यह मामला भी रफा-दफा हो जाएगा।

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