हिंदू धर्म में प्रत्येक माह कई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार आते हैं| फिलहाल भाद्रपद यानि भादो का महीना शुरू हो गया है जो कि व्रत-त्योहारों के लिहाज से बेहद ही खास है| इस माह सबसे पहला त्योहार कजरी तीज पड़ रहा है तो कि आज यानि 2 सितंबर को मनाया जाएगा| कजरी तीज का व्रत हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि के दिन रखा जाता है और पंचांग के अनुसार यह तिथि आज है| कजरी तीज का व्रत सुहागिनों के लिए बेहद ही शुभ और फलदायी माना गया है| इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की अराधना की जाती है| आइए जानते हैं कि कजरी तीज के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त| हिंदू धर्म में प्रत्येक माह कई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार आते हैं|
फिलहाल भाद्रपद यानि भादो का महीना शुरू हो गया है जो कि व्रत-त्योहारों के लिहाज से बेहद ही खास है| इस माह सबसे पहला त्योहार कजरी तीज पड़ रहा है तो कि आज यानि 2 सितंबर को मनाया जाएगा| कजरी तीज का व्रत हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि के दिन रखा जाता है और पंचांग के अनुसार यह तिथि आज है| कजरी तीज का व्रत सुहागिनों के लिए बेहद ही शुभ और फलदायी माना गया है| इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की अराधना की जाती है| आइए जानते हैं कि कजरी तीज के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त| हिंदू धर्म में प्रत्येक माह कई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार आते हैं| फिलहाल भाद्रपद यानि भादो का महीना शुरू हो गया है जो कि व्रत-त्योहारों के लिहाज से बेहद ही खास है|
इस माह सबसे पहला त्योहार कजरी तीज पड़ रहा है तो कि आज यानि 2 सितंबर को मनाया जाएगा| कजरी तीज का व्रत हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि के दिन रखा जाता है और पंचांग के अनुसार यह तिथि आज है| कजरी तीज का व्रत सुहागिनों के लिए बेहद ही शुभ और फलदायी माना गया है| इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की अराधना की जाती है| आइए जानते हैं कि कजरी तीज के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त|
कजरी तीज 2023 शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया पक्ष 1 सितंबर को रात 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू हो गई है और इसका समापन 2 सितंबर को रात 8 बजकर 49 मिनट पर होगा| उदयातिथि के अनुसार कजरी तीज का व्रत आज यानि 2 सितंबर को रखा जाएगा| इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 57 मिनट से लेकर सुबह 9 बजकर 31 मिनट तक रहेगा|
कजरी तीज का महत्व
जिस तरह करवा चौथ का व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है, बिल्कुल उसी प्रकार कजरी तीज का व्रत थी अखंड सौभाग्य की कामना से रखते हैं| इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं और रात्रि में च्रंदमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करती हैं| यह व्रत विशेष तौर पर मध्यप्रदेश , बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है| हरियाली तीज की तरह कजरी तीज के दिन भी महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं और झूला झूलती हैं| इस दिन महिलाएं एक साथ इकट्ठा होकर कजरी तीज का उत्सव मनाती हैं और कजरी गीत जाते हैं|
कजरी तीज पूजा विधि
कजरी तीज के अवसर पर नीमड़ी माता की पूजा करने का विधान है| पूजन से पहले मिट्टी व गोबर से दीवार के सहारे एक तालाब जैसी आकृति बनाई जाती है (घी और गुड़ से पाल बांधकर) और उसके पास नीम की टहनी को रोप देते हैं| तालाब में कच्चा दूध और जल डालते हैं और किनारे पर एक दीया जलाकर रखते हैं| थाली में नींबू, ककड़ी, केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत आदि रखे जाते हैं| सर्वप्रथम नीमड़ी माता को जल व रोली के छींटे दें और चावल चढ़ाएं|
नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी, रोली और काजल की 13-13 बिंदिया अंगुली से लगाएं| मेंहदी, रोली की बिंदी अनामिका अंगुली से लगाएं और काजल की बिंदी तर्जनी अंगुली से लगानी चाहिए| नीमड़ी माता को मोली चढ़ाने के बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र चढ़ाएं| दीवार पर लगी बिंदियों के सहारे लच्छा लगा दें| नीमड़ी माता को कोई फल और दक्षिणा चढ़ाएं और पूजा के कलश पर रोली से टीका लगाकर लच्छा बांधें| पूजा स्थल पर बने तालाब के किनारे पर रखे दीपक के उजाले में नींबू, ककड़ी, नीम की डाली, नाक की नथ, साड़ी का पल्ला आदि देखें| इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें|