हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर JPC की मांग को लेकर NCP प्रमुख महाराष्ट्र में सहयोगी कांग्रेस से असहमत

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हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि अदाणी समूह के खिलाफ जेपीसी की मांग को व्यर्थ बताया है और इससे मामला कतई नहीं सुलझ सकता है। उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को आवश्यकता से अधिक महत्व दिया गया और इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से ही करवाई जानी चाहिए। कांग्रेस की हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जेपीसी जांच की एकतरफा मांग पर शरद पवार ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह अपने महाराष्ट्र सहयोगी के विचारों से सहमत नहीं हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख और देश के सबसे बड़े राजनेताओं में से एक, शरद पवार ने भी अदाणी ग्रुप का मजबूती दृढ़ता से समर्थन किया। इसके साथ ही उन्होंने हिंडन रिपोर्ट से बनाए गए नैरटिव की आलोचना की।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसी भी मुद्दे पर चर्चा होना बेहद ज़रूरी होता है, और विचार-विमर्श को नजरअंदाज करने से समूचे सिस्टम को नुकसान होगा। अदाणी हिंडनबर्ग विवाद में उनका कहना था, “विपक्ष द्वारा हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को जरूरत से ज्यादा अहमियत दी गई, जबकि इस फर्म का बैकग्राउंड किसी को भी नहीं पता। हमने तो इनका नाम भी नहीं सुना।”

जेपीसी अप्वाइंट करने से मामला नहीं सुलझेगा –

शरद पवार ने कहा, “ऐसा लगता है, इस मामले में एक इंडस्ट्रियल ग्रुप को टारगेट किया गया। लेकिन जेपीसी अप्वाइंट करने से मामला नहीं सुलझेगा, बल्कि सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से ही सच्चाई देश के सामने आएगी। इस मामले में जेपीसी की आवश्यकता ही नहीं है, उसका कोई महत्त्व नहीं होगा।” उन्होंने कहा, “मेरा मानना अलग है। कई मामलों पर जेपीसी अप्वाइंट हुई थी। एक बार कोका कोला के मामले पर जेपीसी अप्वाइंट हुई थी, जिसका चेयरमैन मैं था। तो JPC इससे पहले कभी नहीं हुई, ऐसी बात नहीं है। जेपीसी की डिमांड गलत नहीं होती, लेकिन जेपीसी की डिमांड क्यों की गई? जेपीसी की डिमांड इसलिए की, क्योंकि किसी Industrial Organization की जांच होने की आवश्यकता है।”

जेपीसी को इस मामले में उचित नहीं करार देते हुए शरद पवार ने कहा, “जांच करने के लिए डिमांड होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पहल कर रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जजों, एक्सपर्ट प्रशासकों, एक्सपर्ट इकोनॉमिस्ट की टीम को गाइडलाइन भेजी, समय दिया और जांच करने के लिए कहा। दूसरी तरफ विपक्ष की मांग थी कि संसद की समिति नियुक्त की जाए। अगर संसदीय समिति नियुक्त की जाती है, तो संसद में तो सत्तारूढ़ दल का ही बहुमत है। मांग भी सत्तापक्ष के खिलाफ थी, सो, जब सत्तारूढ़ दल के खिलाफ मांग होने पर उसकी जांच करने के लिए अगर सत्तारूढ़ दल के लोग ही रहेंगे, तो सच्चाई कहां तक सामने आएगी, इस बारे में आशंका पैदा हो सकती है। इससे तो सुप्रीम कोर्ट, जिसमें किसी का प्रभाव नहीं, वह जांच करती, तो शायद ज्यादा सच्चाई देश के सामने आती। इसलिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच का ऐलान करने के बाद जेपीसी का महत्त्व रहा नहीं। इसकी आवश्यकता नहीं रही।”

संसद में गतिरोध ठीक नहीं –

पवार ने कहा, “संसद में गतिरोध को लेकर मुझे लगता है, जो कुछ हो रहा है, वह ठीक नहीं है, लेकिन हम यह भी नजरअंदाज नहीं कर सकते कि इससे पहले भी यह हुआ था। डॉक्टर मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे, मैं खुद उनकी सरकार में था। तब 2G मुद्दे पर कई दिन पूरा सेशन बाधित हुआ था और जब यह हुआ, तब जिम्मेदार लोग एक साथ बैठे थे, हमने यह चर्चा की थी कि चाहे जो भी हो, मतभेद हों, आरोप हो सकते हैं, लेकिन फोरम लोगों की समस्याएं रखने के लिए महत्त्वपूर्ण है। मुझे याद है, गुलाम नबी आज़ाद पार्लियामेंट अफेयर मिनिस्टर थे, विपक्ष तगड़ा था, कई मामलों पर विपक्ष सदन का कारोबार नहीं चलने देता था, लेकिन गुलाम नबी विपक्षी नेताओं के साथ बैठकर कुछ न कुछ रास्ता निकालने की कोशिश करते थे और हाउस चलता था।”

धारावी के रिडेवलेपमेंट से जुड़े सवाल पर शरद पवार ने कहा, “धारावी हो, मोतीलाल नगर हो, वहां रिडेवलेपमेंट करके एक तो वहां रहने वाले लोगों को अच्छा मकान मिलेगा। मुंबई का जो चेहरा अलग दिखाई देता है, उसमें सुधार होगा। धारावी में छोटे-मोटे उद्योग बहुत हैं, लोग वहां पर अलग-अलग तरह के बिज़नेस करते हैं, इंडस्ट्री चलाते हैं, कारोबार करते हैं। उन लोगों को एक अच्छा इंफ़्रास्ट्रक्चर मिलेगा, सुविधा मिलेगी, उनकी प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी, तो शहर के लिए इस क्षेत्र के लिए फ़ायदे की बात है। आज जो धारावी के बारे में, हमारे मन में हमेशा एक बात आती है कि प्लेन बॉम्बे में लैंड होते समय धारावी के स्लम दिखाई देते हैं। ये दूर करने के लिए वहां रिडेवलेपमेंट कई सालों से चालू है, तो मुझे लगता है ये अच्छी बात है।

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