जयपुर : विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भाजपा अब सीट टू सीट और मैन टू मैन मार्किंग करने जा रही हैं। इसकी जिम्मेदारी भाजपा शासित पांच राज्यों के विधायकों को सौंपी गई हैं। प्रदेश की 200 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी अन्य राज्यों के भाजपा विधायकों को दी गई हैं। एक विधायक को एक सीट की जिम्मेदारी मिली है। इस सीट पर यह विधायक सात दिन का कैंप करेंगे। इस दौरान तैयार फीडबैक केन्द्रीय नेतृत्व को सौंपा जाएगा। माना जा रहा है कि इन विधायकों की रिपोर्ट विधानसभा चुनावों में टिकट देने और टिकट काटने का आधार बन सकती है।
केन्द्रीय नेतृत्व पहले से ही प्रदेश की सभी सीटों का सर्वे करवा चुका है। सर्वे में जिन सीटों पर कांग्रेस को बढ़त बताई गई है। उन सीटों पर बाहर से आने वाले विधायकों को विशेष फोकस करने के निर्देश भी दिए गए हैं। गुजरात, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, हिमाचल व दिल्ली से आने वाले यह विधायक चुनावी रणनीति में माहिर माने जाते हैं। इन विधायकों की वर्किंग पूरी तरह से गोपनीय रखी जाएगी। कौनसा विधायक किस विधानसभा सीट पर जाएगा। यह भी चुनिंदा लोगों को ही पता रहेगा। ये विधायक स्थानीय नेताओं की भी कोई मदद नहीं लेंगे। ये लोग ग्राउंड पर जाकर मौजूदा विधायक अथवा विधानसभा प्रत्याशी से संवाद करेंगे। विधानसभा में उम्मीदवारी जता रहे अन्य नेताओं से भी चर्चा करेंगे।
सूत्रों का कहना है कि जिन सीटों पर कांग्रेस व अन्य दलों का कब्जा है, उनके लिए भाजपा अलग रणनीति पर काम कर रही है। इन सीटों पर भेजे जाने वाले विधायकों को अपनी रिपोर्ट में बताना होगा कि जीत के लिए क्या रणनीति होनी चाहिए? खासकर मौजूदा विधायक की ताकत व कमजोरियों की जानकारी जुटाई जाएगी। इनकी रिपोर्ट में ये भी शामिल होगा कि कौन से मुद्दों को उठाया जाए, जिससे भाजपा ये सीट जीत सके।
जिन सीटों पर बीजेपी उप चुनाव हारी, उस पर विशेष फोकस
सूत्रों का कहना है कि जिन सीटों पर कांग्रेस व अन्य दलों का कब्जा है, उनके लिए भाजपा अलग रणनीति पर काम कर रही है। इन सीटों पर भेजे जाने वाले विधायकों को अपनी रिपोर्ट में बताना होगा कि जीत के लिए क्या रणनीति होनी चाहिए? खासकर मौजूदा विधायक की ताकत व कमजोरियों की जानकारी जुटाई जाएगी।
इनकी रिपोर्ट में ये भी शामिल होगा कि कौन से मुद्दों को उठाया जाए, जिससे भाजपा ये सीट जीत सके। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस व अन्य दलों से आए नेताओ की क्षेत्र में क्या स्थिति है? इस पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। विशेषत: उन सीटों पर जहां उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। अन्य राज्यों के विधायक इन सीटों के हर पहलू को अपनी रिपोर्ट में शामिल करेंगे। केंद्रीय नेतृत्व इन सीटों को लेकर ज्यादा गंभीर है।
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