जयपुर। राजस्थान की 16वीं विधानसभा के पहले सत्र का आज पहला दिन है। सत्र के पहले दिन सदन के अस्थायी अध्यक्ष कालीचरण सराफ नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलवा रहे हैं। वहीं, दूसरे दिन 21 दिसंबर को शेष बचे रह जाने वाले विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी। गुरुवार को ही राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष के लिए भी चुनाव होगा। भाजपा ने अजमेर उत्तर से विधायक वासुदेव देवनानी का नाम विधानसभा अध्यक्ष के लिए प्रस्तावित किया है। कांग्रेस की तरफ से अब तक किसी का नाम सामने नहीं आया है।
राजस्थानी भाषा में शपथ लेने पर विवाद
राजस्थान विधानसभा में बुधवार को कोलायत से पहली बार बार निर्वाचित हुए भाजपा के विधायक अंशुमान सिंह भाटी ने विधानसभा में राजस्थानी में शपथ लेने का आग्रह किया। उन्होंने राजस्थानी भाषा में शपथ भी ले ली लेकिन प्रोटेम स्पीकर कालीचरण सराफ ने आपत्ति उठाई और कहा कि विधानसभा में राजस्थानी भाषा में शपथ नहीं ली जा सकती है। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में मान्यता प्राप्त नहीं है ऐसे में राजस्थान विधानसभा में हिंदी या अंग्रेजी में ही शपथ ली जा सकती है।
इन सदस्यों ने ली संस्कृत में शपथ
बसे पहले सीएम भजनलाल शर्मा और उसके बाद डिप्टी सीएम दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा को शपथ दिलाई है। सदन में राजस्थानी भाषा में शपथ लेने परे रोक है। इसलिए कई सदस्य राजस्थानी भाषा में शपथ नहीं ले सके। क्योंकि 8 वीं अनुसूची में आने वाली भाषाओं में ही शपथ ले सकते है। राजस्थान भाषा 8 वीं अनुसूची में शामिल नहीं। संस्कृत में शपथ लेने वाले विधायक उदयलाल भड़ाना, गोपाल लाल शर्मा, गोपाल शर्मा, जोगेश्वर गर्ग, कैलाश चंद्र मीणा, गढ़ी, छगन सिंह राजपुरोहित, जुबेर खान, रामगढ़ जेठानंद व्यास, जोराराम कुमावत ने संस्कृत में शपथ ली।
इसके बाद भाजपा के योगेश्वर गर्ग ने आसान से आग्रह किया कि अंशुमान सिंह भाटी को राजस्थानी भाषा में शपथ लेने की विशेष अनुमति दी जाए। लेकिन प्रोटेम स्पीकर सराफ ने स्पष्ट रूप से अंशुमान सिंह भाटी को राजस्थानी भाषा में शपथ लेने की बात स्वीकार नहीं की और कहा कि शपथ हिंदी या अंग्रेजी में ही लेनी पड़ेगी। इसके बाद अंशुमान सिंह भाटी ने हिंदी में विधायक की शपथ ली।
पहली बार सदन में दो पूर्व मुख्यमंत्री
बता दे कि 25 साल के इतिहास में यही देखने को मिला की कभी वसुंधरा राजे तो कभी अशोक गहलोत। गहलोत के सीएम पद से हटते ही वसुंधरा राजे सीएम बन जाती थी। लेकिन, इस बार बीजेपी ने सीएम चेहरा बदल दिया है। विधानसभा में 25 साल में ऐसा पहली बार होगा जब दो पूर्व मुख्यमंत्री सदन में होंगे। लेकिन, सदन की कुर्सी पर नया ही चेहरा दिखाई देगा। विधानसभा अध्यक्ष रहे सीपी जोशी और नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ चुनाव हार गए हैं, तो वो दोनों सदन से नदारद रहेंगे।
इस बार 72 विधायक पहली बार चुनाव जीतकर आए
बता दें कि राजस्थान में विधानसभा की कुल 200 सीटें है। जिनमें से 199 सीटों पर चुनाव हुआ था और बीजेपी ने 115, कांग्रेस ने 69 व निर्दलीय विधायकों ने 15 सीटें जीती थी। वहीं, एक सीट करणपुर पर 5 जनवरी को वोटिंग होने वाली है। खास बात ये है कि इस बार 72 विधायक पहली बार चुनाव जीतकर आए हैं। जिनमें से बीजेपी के 46, कांग्रेस के 19 और 7 निर्दलीय विधायक हैं।
प्रोटेम स्पीकर की हो चुकी शपथ
उल्लेखनीय है कि 16वीं विधानसभा के पहला सत्र बुलाने के लिए सोमवार को राज्यपाल कलराज मिश्र ने प्रोटेम स्पीकर के लिए सदन के सबसे ज्यादा अनुभवी विधायक कालीचरण सराफ को शपथ दिलाई थी। इसके बाद संसदीय कार्य विभाग ने सदन की कार्यवाही के लिए पत्र जारी किया। जिसे राज्यपाल कलराज मिश्र में स्वीकृति प्रदान की।
गौरतलब है कि राजस्थान विधानसभा की 200 में से 199 सीटों पर ही चुनाव हो पाए थे। राज्य की करणपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी गुरमीतसिंह कुन्नर का निधन हो गया था, जिसके चलते वहां चुनाव स्थगित हो गए थे। अब 5 जनवरी को यहां उपचुनाव होने हैं।
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