गुड़ा रुघनाथ सिंह में सीरवी समाज द्वार धर्म रथ भैल वधावा व धर्म सभा

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पाली। सीरवी समाज का इतिहास श्री आई माताजी का इतिहास, चमत्कार, दीवान रोहित दास जी और दीवान हरि दास जी के परचे,सती कागण माताजी,जति भगा बाबा जी पंवार और मीडिया भैलिया के सत के परचे बताये दीपाराम काग गुड़ीया बाद में महेन्द्र महाराज मध्य प्रदेश द्वारा संस्कार निर्माण पर उद्बोधन दिया गया। राणावास से तीन किलोमीटर दक्षिण में केवल 150-200 घर की छोटी सी बस्ती गुड़ा रुघनाथ सिंह में सीरवी समाज के पुराने 30घर व अब प्रति कंदोरा 103परिवार गिनती में हैं जिनमें से मारवाड़ में अपने मां बाप से मिलने आये युवा पीढ़ी के गिने चुने बंधु दिखाई पड़ते बाक़ी बा और धा विराजमान हैं। इस गांव के बांडेरुओं ने 2007 में मंदिर ( बडेर) निर्माण करवाया और परम पूज्य दीवान साहब श्री माधव सिंह जी के कर कमलों से 2010 में श्री आई माताजी के पाट एवं मूर्ति स्थापना की मंदिर के पास शानदार सभा भवन बनाया गया है। मंदिर परिसर लगभग एक बीघा जमीन पर फ़ैला हुआ है।

मंदिर का पुनः रंग रोगन करवाया हुआ एवं अच्छी सुविधा के साथ बांडेरुओं में बहुत अच्छा प्रेम, सम्मान भावना तथा जोश बरकरार है। इस गांव में सीरवी समाज के अलावा राजपूत, देवासी, वैष्णव,नाथ, मेघवाल, मीणा, ढोली और जोगी लोग निवास करते हैं। यहां से 1980 में सीरवी बंधुओं ने दक्षिण भारत की ओर प्रस्थान किया जिनमें जीवाराम लचेटा, मोहनलाल, सज्जाराम, कुन्नाराम और भेराराम लचेटा का नाम मुख्य है। इस गांव से सर्वाधिक हैदराबाद तथा अन्य नगरों में बंगलौर, सूरत, पूना, मुम्बई और राणावास में व्यापार व्यवसाय में लगे हुए हैं। सीरवी समाज के 09 बेरे हैं जिन पर लगभग 500 बीघा जमीन है जल मीठा तथा भरपूर है।

सभी फसलें होती है पर सूअरों ने मक्का, शकरकंद और ककड़ी बोना भुला दिया है। वर्तमान में यहां पर घीसाराम सैणचा कोटवाल,वीरमराम चोयल जमादारी एवं गुड़ा रामसिंह के वृद्ध पुजारी खेताराम सोलंकी एक वर्ष से अपनी सेवा दे रहे हैं। यह गांव राणावास,गादाणा,रडावास, गुड़ा रामसिंह, गुड़ा प्रेम सिंह, गुड़ा दुर्जन, चौकड़िया और गुड़ा मेहकरण के मध्य आया हुआ है। दक्षिण भारत के बंगलौर में मुकेश लचेटा सीए बनने की राह पर है अब भावी पीढ़ी से उच्च सेवा में आशा और अपेक्षा रखते हुए मां श्री आई जी से गांव की खुशहाली की कामना करते हैं ।

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