बीकानेर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह राजस्थान के बीकानेर में सीमा पर स्थित करणी माता मंदिर पहुंचे। पाकिस्तान ने हाल ही में इस मंदिर पर हमले का प्रयास किया था। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि मां करणी की कृपा से पाकिस्तान की मिसाइलें लक्ष्य से भटक गईं। बीकानेर के देशनोक में स्थित करणी माता मंदिर दुनियाभर में ‘चूहों के एकमात्र मंदिर’ के नाम से भी प्रसिद्ध है।
भारत मंदिरों का देश है
यहां अलग-अलग परंपराओं वाले मंदिर काफी प्रसिद्ध हैं। लेकिन आज हम आपको राजस्थान के एक प्रसिद्ध मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। बीकानेर जिले में मौजूद करणी माता मंदिर अपनी विशेष परंपरा के लिए जाना जाता है। इस मंदिर में प्रसाद के तौर पर चूहों की जूठन दी जाती है। आज अपने बीकानेर दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस प्राचीन मंदिर के दर्शन किए। आइए जानते हैं करणी माता मंदिर के बारे में विस्तार से…
क्या है करणी माता मंदिर का इतिहास?
20वीं सदी की शुरुआत में हुआ निर्माण
करणी माता मंदिर एक प्राचीन मंदिर है, जिसका निर्माण 20वीं शताब्दी की शुरुआत में बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह द्वारा कराया गया था। सफेद संगमरमर से मुगल वास्तुकला में बना यह मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है।
गर्भगृह में विराजित हैं मां करणी
करणी माता मंदिर के गर्भगृह में देवी की प्रतिमा विराजमान है, जो अपने एक हाथ में त्रिशूल धारण किए हुए हैं। इस प्रतिमा के बराबर में दो और प्रतिमाएं हैं। मान्यता है कि ये प्रतिमाएं देवी की दो बहनों की हैं।

चूहों से भरा है मंदिर
करणी माता मंदिर को Rat Temple के नाम से भी जाना जाता है। अनुमान है कि करणी माता मंदिर में लगभग 25 हजार चूहे मौजूद हैं। मान्यता है कि ये चूहे करणी माता के वंशज हैं। क्योंकि करणी माता ने यमराज को चुनौती दी थी कि मेरे वंशज कभी यमलोक नहीं जाएंगे। इस मंदिर में मौजूद चूहों को “काबा” कहा जाता है।
सफेद चूहे के दर्शन
इस मंदिर में यदि आपको सफेद चूहे के दर्शन होते हैं, तो इसे देवी की विशेष कृपा माना जाता है। मान्यता है कि सफेद चूहे के रूप में माता करणी देवी खुद भक्तों को दर्शन देती हैं। जब देश के प्रधानमंत्री इस मंदिर के दर्शन कर रहे हैं, तो पूरे देश की निगाह इस मंदिर की ओर टिक जाती है।