कहानी: जंगल की जादूगरनी बुढ़िया
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल के बीचों-बीच एक छोटी सी झोपड़ी में एक बुढ़िया रहती थी। उसका नाम था माया बाई। माया बाई अकेली थी, लेकिन उसकी छड़ी जादू से भरी हुई थी। जंगल के जानवरों ने उसे “जंगल की जादूगरनी” का नाम दे दिया था।
माया बाई के पास एक जादूई छड़ी थी, जो किसी भी चीज़ को हिलाने-डुलाने और बदलने की ताकत रखती थी। मगर माया बाई का दिल बहुत अच्छा था। वह कभी भी अपना जादू जानवरों के खिलाफ नहीं इस्तेमाल करती थी। बल्कि, जब भी किसी जानवर को मदद की ज़रूरत होती, माया बाई अपनी छड़ी से उसका काम आसान बना देती।
एक दिन जंगल में एक बड़ा तूफान आया। सभी जानवर अपने घरों में छिप गए, लेकिन हाथी और सियार को अपने घरों का रास्ता भूल गया। वे बहुत परेशान हो गए। तभी माया बाई ने अपनी छड़ी से रास्ता बना दिया और दोनों जानवर अपने घर safely वापस पहुँच गए।
वह दिन भी आया जब एक बड़े से बाघ ने जंगल में दहशत फैला दी। सभी जानवर डर के मारे छुपे हुए थे। माया बाई ने अपना जादू प्रयोग किया और बाघ को एक प्यारी सी आवाज़ में बदल दिया, जिससे वह किसी को नुकसान नहीं पहुँचा सका।
कुछ दिनों बाद, जंगल में हर कोई माया बाई की मदद से खुश रहने लगा। जानवरों ने उसे सम्मान देना शुरू किया और उसकी छड़ी को सबसे शक्तिशाली वस्तु मानने लगे। माया बाई का जीवन आराम से बीतने लगा, लेकिन उसने कभी भी अपनी जादूई शक्तियों का गलत इस्तेमाल नहीं किया।