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Thursday, March 13, 2025

मणिपुर में केंद्र ने लगाया राष्ट्रपति शासन, हिंसा के बीच सीएम बीरेन सिंह ने दिया था इस्तीफा

केंद्र सरकार ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने का फैसला लिया है। यह कदम मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद उठाया गया है। मणिपुर में पिछले दो साल से जातिगत हिंसा और असुरक्षा की स्थिति बनी हुई थी, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई। मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद यह उम्मीद जताई जा रही थी कि बीजेपी किसी अन्य विधायक को मुख्यमंत्री बनाएगी, लेकिन बाद में राज्यपाल के प्रस्ताव पर राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्णय लिया गया।

राष्ट्रपति शासन की प्रक्रिया

राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए राज्यपाल की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जाती है। इसके बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल इसकी सिफारिश करता है। राष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने का निर्णय लेते हैं। राष्ट्रपति शासन छह महीने के लिए होता है, जिसे संसद से मंजूरी मिलने के बाद एक साल तक बढ़ाया जा सकता है।

राष्ट्रपति शासन के बाद के बदलाव

राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद विधानसभा के सभी अधिकार राज्यपाल की शक्तियों के तहत आ जाते हैं। यदि विधानसभा निलंबित होती है तो वह केवल नाममात्र रूप से बनी रहती है, और यदि भंग हो जाती है तो नए चुनाव कराए जाते हैं। आमतौर पर हालत में सुधार के बाद चुनाव की तारीख की घोषणा की जाती है।

मणिपुर में हिंसा का कारण

मणिपुर में हिंसा की दो मुख्य वजहें रही हैं। पहली वजह है राज्य सरकार द्वारा मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का निर्णय, जिसे बाद में हाईकोर्ट ने रोक दिया था। इस निर्णय का विरोध कुकी और नागा समुदायों ने किया था, जिनके पास आदिवासी का दर्जा पहले से था। दूसरी वजह है सरकारी भूमि सर्वेक्षण, जिसमें आदिवासी ग्रामीणों को आरक्षित वन क्षेत्र खाली करने के लिए कहा गया था। इन दोनों मुद्दों के कारण मणिपुर में हिंसा की घटनाएं बढ़ी थीं, और अब तक करीब 200 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

ऑडियो टेप का विवाद

बीरेन सिंह पर मणिपुर हिंसा में शामिल होने के आरोपों को लेकर एक ऑडियो टेप सामने आया था। इसमें बीरेन सिंह को कथित रूप से यह कहते हुए सुना जा सकता है कि उन्होंने राज्य में हथियारों को लूटने की इजाजत दी थी। इस ऑडियो टेप के लीक होने के बाद विपक्ष ने कई सवाल उठाए थे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस ऑडियो टेप पर फोरेंसिक रिपोर्ट की मांग की थी।

केंद्र सरकार ने यह कदम मणिपुर के अस्थिर हालात को ध्यान में रखते हुए उठाया है, ताकि राज्य में शांति और सुरक्षा का माहौल बनाया जा सके।

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