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Saturday, August 30, 2025

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जीवन की जंग – एक अपील दिल से

आज एक छोटी सी घटना ने अंदर तक झकझोर कर रख दिया। इसीलिए आज आपसे एक ऐसी बात कहना चाहता हूँ, जो सिर्फ़ शब्द न लगे, बल्कि दिल को छू जाए और सोचने पर मजबूर कर दे।

हमारे आसपास, हमारे घरों में, हमारे दोस्तों के बीच एक खतरनाक चुप्पी पसर रही है।
ये चुप्पी है हमारे युवाओं की…
जो बाहर से हँसते हैं, मुस्कराते हैं, इंस्टाग्राम पर रील्स बनाते हैं, लेकिन अंदर ही अंदर ऐसी जंग लड़ रहे हैं, जिसका दर्द वे शब्दों में बयां नहीं कर पाते।

हर दिन किसी युवा की आत्महत्या की खबर पढ़ते हैं।
क्यों?
क्यों हमारे भाई, बहन, दोस्त, बच्चे… जो ज़िंदगी की शुरुआत में हैं, वही ज़िंदगी को अलविदा कह रहे हैं?

क्या हमारा परिवार, हमारी दोस्ती, हमारा समाज उन्हें वो सुकून, वो सहारा नहीं दे पा रहा, जिसकी उन्हें सबसे ज़्यादा ज़रूरत है?

📌 पढ़ाई का दबाव
📌 नौकरी की चिंता
📌 रिश्तों की उलझनें
📌 आर्थिक तंगी
📌 सोशल मीडिया की झूठी चमक

ये सब मिलकर हमारे नौजवानों को इतना अकेला कर रहे हैं कि वे टूट जाते हैं।

हम अब भी डिप्रेशन, चिंता और मानसिक पीड़ा को कमजोरी समझते हैं, जबकि ये बीमारी है, जिसका इलाज है — समझदारी, अपनापन और संवाद।

एक सवाल खुद से पूछिए:

क्या आपने कभी अपने बच्चे, अपने दोस्त, अपने भाई से पूछा —
“तू ठीक है ना?”
“कुछ बात करनी है क्या?”

शायद नहीं… और यही चुप्पी खतरनाक होती है।

🙏 मैं आपसे, खुद से, और पूरे समाज से एक वादा माँगता हूँ —
थोड़ा वक्त दीजिए… सिर्फ मोबाइल स्क्रीन पर नहीं, दिल से।
बात करिए, सुनिए, समझिए।

अगर कोई चुप है, उदास है, तो उसके पास बैठिए।
एक हल्की सी मुस्कान,
एक “मैं हूँ ना” कहना
किसी की ज़िंदगी बचा सकता है।

याद रखिए — कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता।
जीने के बहाने लाखों हैं — उनमें से एक बहाना चुन लो,
ज़िंदगी बदल जाएगी।

अगर कोई दोस्त, कोई अपना परेशान है, उधेड़बुन में है,

तो उससे कहिए —
“हर मुश्किल का हल होगा,
वो आज नहीं तो कल होगा।”

मर जाना कोई समाधान नहीं —
बोलना, सुनना, समझना — यही ज़िंदगी है।

रिश्तेदार और दोस्त सिर्फ़ श्रद्धांजलि पोस्ट लिखने के लिए नहीं होते —
वे साथ खड़े हों तो जीवन बदल सकता है।

🙏 ये पोस्ट बस एक ‘लाइक’ या ‘कमेंट’ तक सीमित न रहे —
इसे एक आंदोलन बनाइए।
हर उस इंसान तक पहुँचाइए जो शायद अंदर से टूट चुका है पर बोल नहीं पा रहा।

कहिए — “तू अकेला नहीं है… हम साथ हैं।”

और जब भी किसी की आँखें खाली सी लगें —
उसे गले लगाइए और कहिए —
“मैं हूँ ना…”


जय राम जी की 🙏
मानवता जिंदा रहे — रिश्ते निभाइए, भावनाएँ समझिए।

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