समदड़ी. सिलोर गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। कथा वाचक वेदांताचार्य डॉ. ध्यानाराम ने श्रीकृष्ण जन्म कथा का वर्णन करते हुए कहा कि कंस के कारागार में भाद्रपद मास की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में वसुदेव-देवकी के यहां भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। उनका लालन-पालन नंद के घर हुआ, इसी कारण नंदगांव में जन्मोत्सव विशेष रूप से मनाया जाता है।
कथा स्थल पर श्रीकृष्ण जन्म की सुंदर झांकी प्रस्तुत की गई। श्रद्धालुओं ने “नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की” के जयकारे लगाते हुए नृत्य किया। माखन-मिश्री का प्रसाद चढ़ाया गया और श्रद्धालुओं को वितरित किया गया।
वेदांताचार्य डॉ. ध्यानाराम ने कहा कि श्रीकृष्ण चंद्रवंशी हैं, अतः चंद्रदेव को उनका पूर्वज माना जाता है। भक्ति से ही मुक्ति मिलती है। प्रभु की भक्ति, वैराग्य, विचार, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग प्रशस्त करती है।
सत्संग में उठी सनातन संस्कृति व संयुक्त परिवार को बचाने की बात
कथा आयोजक जगदीशसिंह ने बताया कि कथा प्रतिदिन सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक होती है। रात्रि में ऋषि सत्संग का आयोजन होता है। गुरुवार रात्रि को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक नंदलाल बाबाजी ने सत्संग किया। उन्होंने संयुक्त परिवार और सनातन संस्कृति को संरक्षित करने पर बल दिया।
श्रद्धालुओं की रही बड़ी भागीदारी
कथा के दौरान आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और कथा का श्रवण किया। पूरा वातावरण श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के उल्लास में डूबा रहा।