बेंगलूरु। माडिबाई रायंचंद राठौड़ चेरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में तीन दिवसीय नानी बाई को मायरो का शुभारंभ सीरवी समाज हेब्बाल वडेर में कलश यात्रा के साथ हुआ।
कलश यात्रा का भव्य स्वागत
कलश यात्रा विभिन्न मार्गों से होते हुए आईमाता वडेर, हेब्बाल स्थित कथा स्थल तक पहुंची। सबसे आगे भक्त सिर पर भगवान नरसिंह की कथा पुस्तक लिए चल रहे थे, वहीं बड़ी संख्या में महिलाएं कलश धारण कर भजन-कीर्तन और भक्ति गीतों पर नृत्य करते हुए शामिल हुईं। गाजे-बाजे के साथ निकली इस यात्रा का जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। भक्तों ने हाथों में भगवान की ध्वजा थामकर नरसिंह भगवान के जयकारे लगाए।
संत कृपाराम का स्वागत और कथा
कथा वाचक संत कृपाराम के स्वागत में भव्य वरघोड़ा निकाला गया, जिसमें पुरुषों ने पारंपरिक वेशभूषा में गैर नृत्य प्रस्तुत किया। कथा के दौरान अनेक भव्य झांकियां सजाई गईं। संत कृपाराम ने नरसी भगत और कृष्ण की जीवंत कथाओं का वर्णन करते हुए बताया कि भक्त नरसी ने भक्ति से महादेव को प्रकट किया और वरदान में धन-दौलत की जगह राधा-कृष्ण को मांगा। उन्होंने कहा कि सच्चे भक्त का मोह भक्ति में होता है, धन में नहीं।
भक्ति और विश्वास का संदेश
नरसी के पास जब संपत्ति थी, तो सभी समान करते थे, लेकिन जैसे ही सब कुछ चला गया, अपने भी दूर हो गए और मायरे के लिए साथ जाने से मना कर दिया। यह कथा भक्त और भगवान के बीच अटूट विश्वास का प्रतीक है।
कार्यक्रम में मौजूद गणमान्य लोग
आयोजन में रूपाराम, देवाराम, मोहनलाल राठौड़ परिवार ने स्वागत किया। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में मांगीलाल राठौड़, किशोर चोयल, ओमप्रकाश राठौड़, तुलसाराम चवाडियां, ओमप्रकाश सोलंकी, रामलाल गेहलोत, हदाराम गहलोत, रमेश गहलोत समेत सीरवी समाज हेब्बाल वडेर के अध्यक्ष पुनाराम बर्फा, सचिव भोलाराम सोलंकी, कोषाध्यक्ष चिमनाराम सीरवी, सह-कोषाध्यक्ष विरमाराम राठौड़ और सह-सचिव सोहनलाल राठौड़ उपस्थित रहे