मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राजभवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की और अपना इस्तीफा सौंपा। इसी दिन उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी भेंट की थी। राज्य में लंबे समय से जारी हिंसा के कारण वे आलोचनाओं के घेरे में थे। इसके अलावा, पार्टी के कई विधायक भी उनसे नाराज़ चल रहे थे। भाजपा सूत्रों के अनुसार, करीब 12 विधायक नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे थे।
पार्टी में बढ़ते असंतोष को देखते हुए, बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया। उनकी सरकार को कांग्रेस द्वारा संभावित अविश्वास प्रस्ताव और फ्लोर टेस्ट का सामना करना पड़ सकता था। इस्तीफे के दौरान उनके साथ राज्य भाजपा अध्यक्ष ए. शारदा, भाजपा सांसद संबित पात्रा और कम से कम 14 विधायक भी मौजूद थे।
राज्यपाल को सौंपे अपने पत्र में बीरेन सिंह ने लिखा कि वे प्रत्येक मणिपुरी नागरिक की रक्षा के लिए केंद्र सरकार के समय पर हस्तक्षेप के आभारी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने विभिन्न विकास परियोजनाओं को गति दी और कई योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया। साथ ही, उन्होंने केंद्र सरकार की निरंतर सहायता और मार्गदर्शन को मणिपुर के विकास और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण बताया।
इस्तीफे का कारण
हालांकि कॉनराड संगमा की नेशनल पीपल्स पार्टी (NPP) ने समर्थन वापस ले लिया था, फिर भी भाजपा के पास बहुमत के लिए आवश्यक संख्या मौजूद थी। बावजूद इसके, पार्टी के कुछ असंतुष्ट विधायकों ने नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठाई। यदि फ्लोर टेस्ट कराया जाता, तो इन विधायकों के पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने की संभावना थी, जिससे सरकार संकट में आ सकती थी। इस स्थिति से बचने के लिए, बीरेन सिंह ने केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा करने के बाद इस्तीफा देने का निर्णय लिया।