अजमेर। पूरे देश झकझोर देने वाले 32 साल पुराने अजमेर के चर्चित सेक्स स्कैंडल में आखिर फैसला आ गया। राजस्थान के अजमेर शहर में 32 साल पहले हुआ अजमेर सेक्स स्कैंडल एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। इस मामले में कोर्ट ने 100 से ज्यादा छात्राओं से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में 6 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही अदालत ने प्रत्येक आरोपी पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
पॉक्सो कोर्ट (संख्या-2) ने नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ टार्जन, इकबाल भाटी ,सलीम चिश्ती ,सोहिल गनी और सैयद जमीर हुसैन को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
सजा सुनाए जाने के समय सभी 6 आरोपी कोर्ट में मौजूद थे। इकबाल भाटी को एम्बुलेंस से दिल्ली से अजमेर लाया गया था, जबकि बाकी आरोपी पहले से ही अदालत में उपस्थित थे। इन 6 आरोपियों के खिलाफ 23 जून 2001 को आरोप पत्र दाखिल किया गया था, और इस साल जुलाई में सुनवाई पूरी हुई।
इस मामले में कुल 18 आरोपी थे, जिनमें से 4 पहले ही अपनी सजा काट चुके हैं, और 4 को उच्च न्यायालय ने बरी कर दिया है। 30 साल पहले एक व्यक्ति ने मुकदमे के दौरान आत्महत्या कर ली थी। दो आरोपियों पर एक लड़के से कुकर्म का केस चला, जिसमें से एक सजा भुगत चुका है, जबकि दूसरे पर अब भी केस चल रहा है। एक आरोपी फरार है, और छह दोषियों पर अब फैसला सुनाया गया है।
32 साल पुराना मामला
1992 में अजमेर में घटित हुए इस सेक्स स्कैंडल ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। इस घटना में पीड़ित छात्राओं को ब्लैकमेल कर उनके साथ बलात्कार किया गया था और उनकी आपत्तिजनक तस्वीरें खींचकर उन्हें सार्वजनिक करने की धमकी दी गई थी। ये छात्राएं स्थानीय स्कूलों और कॉलेजों की थीं, और इस घिनौने अपराध में शामिल दोषियों का मुख्य उद्देश्य उन्हें धमकाकर उनका शोषण करना था।
न्याय की लंबी लड़ाई
इस मामले में न्याय की राह बहुत लंबी और कठिन रही। पीड़िताओं और उनके परिवारों को न्याय पाने के लिए दशकों तक संघर्ष करना पड़ा। इस दौरान कई बार मामले की जांच हुई, और कई मोड़ आए। लेकिन आखिरकार 32 साल बाद अदालत ने इन दोषियों को उनकी घिनौनी हरकतों के लिए कठोर सजा सुनाई है।
उम्रकैद और जुर्माना
अजमेर की विशेष अदालत ने 6 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए कहा कि ऐसे अपराधों के लिए समाज में कोई जगह नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा, अदालत ने दोषियों पर 5-5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह राशि पीड़ित छात्राओं के पुनर्वास के लिए इस्तेमाल की जाएगी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस अपराध ने न केवल पीड़िताओं, बल्कि पूरे समाज को गहरा आघात पहुंचाया है।