उत्तराखंड में 2 साल 8 महीने बाद अंकिता भंडारी हत्याकांड का कोर्ट का फैसला, कोर्ट ने तीनों आरोपियों को हत्या का दोषी माना
उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (एडीजे कोर्ट) ने शुक्रवार, 30 मई 2025 को फैसला सुनाया। कोर्ट ने वनंत्रा रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, उसके कर्मचारी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को हत्या का दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई।
जानिए क्या है पूरा मामला
पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक की रहने वाली अंकिता भंडारी 18 सितंबर 2022 को लापता हो गई थीं। वह ऋषिकेश स्थित वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में कार्यरत थीं। एक सप्ताह बाद 24 सितंबर को चीला शक्ति नहर से उनका शव बरामद हुआ। जांच में सामने आया कि पुलकित आर्य ने अपने दो कर्मचारियों के साथ मिलकर विवाद के बाद अंकिता को नहर में धक्का दे दिया था, जिससे उसकी मौत हो गई।

लोगों में फूटा गुस्सा, रिसॉर्ट में लगाई आग
हत्या के बाद स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश देखने को मिला। गुस्साई भीड़ ने मुख्य आरोपी पुलकित आर्य के रिसॉर्ट में आग लगा दी थी। भाजपा विधायक रेणु बिष्ट की गाड़ी पर हमला किया गया और वाहन के शीशे तोड़ दिए गए। हालात बिगड़ते देख मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विशेष जांच टीम (SIT) गठित करने का आदेश दिया। पुलकित के रिसॉर्ट को प्रशासन द्वारा बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया।
भाजपा ने आरोपी के परिजनों को पद से हटाया
मामले में आरोपी पुलकित आर्य के पिता विनोद आर्य को भाजपा से निष्कासित कर दिया गया। विनोद आर्य पूर्व में मंत्री रह चुके थे और पार्टी की OBC मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थे। पुलकित के भाई अंकित आर्य, जो उत्तराखंड OBC कल्याण आयोग के उपाध्यक्ष पद पर थे, उन्हें भी पद से हटा दिया गया।
जांच और सुनवाई की प्रक्रिया
जांच के बाद अभियोजन पक्ष ने करीब 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की, जिसमें 97 गवाहों के बयान शामिल थे। इनमें से 47 प्रमुख गवाहों को कोर्ट में पेश किया गया। 30 जनवरी 2023 से कोटद्वार की एडीजे कोर्ट में नियमित सुनवाई शुरू हुई। अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक अवनीश नेगी ने पक्ष रखा। बहस 19 मई 2025 को पूरी हुई और कोर्ट ने 30 मई को फैसला सुनाया।
कोर्ट के फैसले से पहले सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
फैसले के मद्देनज़र पौड़ी, देहरादून, हरिद्वार, टिहरी और उत्तरकाशी से अतिरिक्त पुलिस बल मंगवाया गया। डेढ़ कंपनी पीएसी और चार मजिस्ट्रेट कोर्ट परिसर में तैनात किए गए। कोर्ट के 200 मीटर दायरे में निषेधाज्ञा लागू की गई, जिसमें नारेबाजी और समूह प्रवेश पर रोक रही।