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Monday, July 7, 2025

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13 साल के किशोर ने 8 साल की रिश्तेदार बच्ची से किया दुष्कर्म, मोबाइल पर गंदे वीडियो देखने की लत से हुआ था प्रभावित

चूरू: राजस्थान के चूरू जिले के सदर थाना क्षेत्र से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे इलाके को झकझोर दिया है। यहां एक 13 वर्षीय नाबालिग लड़के ने अपने ही परिवार की 8 वर्षीय मासूम बच्ची से दुष्कर्म कर दिया। पीड़ित बच्ची की मां की रिपोर्ट पर पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

खेत पर गए थे माता-पिता, घर में अकेली थी मासूम

यह घटना 16 जून को उस वक्त हुई जब बच्ची के माता-पिता खेत पर गए हुए थे। बच्ची घर पर अपनी छोटी बहन के साथ अकेली थी। तभी आरोपी किशोर, जो रिश्ते में बच्ची की मां का पोता बताया जा रहा है, घर पहुंचा और मासूम के साथ यह शर्मनाक वारदात की।

डर के मारे चुप रही बच्ची, लौटने पर सुनाई आपबीती

शाम को जब परिजन खेत से घर लौटे तो बच्ची डरी-सहमी थी। जब उससे पूछा गया तो उसने रोते हुए पूरी आपबीती सुनाई। परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। वे बच्ची को तुरंत महिला थाने लेकर पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई।

आरोपी नाबालिग ‘मोबाइल एडिक्ट’

पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया है कि आरोपी किशोर मोबाइल का अत्यधिक आदी है। वह अक्सर गंदे वीडियो देखता था, जिससे उसका मानसिक संतुलन और सोच पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। यह इस घटना का एक चौंकाने वाला और गंभीर पहलू है, जो आज के समय में मोबाइल की बच्चों पर पड़ती खतरनाक असर की ओर इशारा करता है।

मेडिकल जांच में परिजनों की अनिच्छा

मामले की जांच के दौरान एक और मोड़ आया जब बच्ची के परिजनों ने मेडिकल जांच करवाने से इनकार कर दिया। पुलिस ने मेडिकल बोर्ड का गठन कर दिया है, लेकिन परिजनों की अनिच्छा के चलते प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। पुलिस का कहना है कि मेडिकल रिपोर्ट केस में एक अहम सबूत होगी।

हिरासत में आरोपी, बाल कल्याण समिति के समक्ष पेशी होगी

पुलिस ने नाबालिग आरोपी को हिरासत में लेकर उसे बाल कल्याण समिति (CWC) के समक्ष पेश करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पुलिस इस मामले की हर पहलू से गहराई से जांच कर रही है।

यह घटना समाज को आईना दिखाती है

इस घटना ने न सिर्फ एक मासूम की ज़िंदगी को हिला दिया है, बल्कि यह समाज के सामने बच्चों में बढ़ती हिंसा, मोबाइल की लत, और परिवारों की जागरूकता की कमी को उजागर करती है। अब समय आ गया है कि हम स्क्रीन टाइम, डिजिटल सामग्री और बच्चों के व्यवहार पर गहरी नजर रखें।

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