पहली कक्षा से केवल मराठी और अंग्रेजी पढ़ाने की मांग, शिक्षा मंत्री को लिखा पत्र
मुंबई,: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने राज्य की स्कूली भाषा नीति पर आपत्ति जताते हुए बुधवार को स्कूली शिक्षा मंत्री दादाजी भुसे को पत्र लिखा। ठाकरे ने पत्र में मांग की कि राज्य के सभी स्कूलों में पहली कक्षा से केवल मराठी और अंग्रेजी भाषा ही पढ़ाई जाए।
हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाए जाने पर जताई आपत्ति
राज ठाकरे ने राज्य सरकार की हालिया घोषणा का हवाला देते हुए कहा कि सरकार पहली कक्षा से तीन भाषाएं पढ़ाने की योजना बना रही थी, जिसमें हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा के रूप में जोड़ा जाना था। हालांकि, जनभावनाओं और विरोध के चलते सरकार ने यह स्पष्ट किया कि हिंदी को अनिवार्य नहीं बनाया जाएगा। फिर भी ठाकरे ने चिंता व्यक्त की कि इस विषय में अभी तक कोई स्पष्ट लिखित आदेश जारी नहीं किया गया है, जिससे स्कूलों और अभिभावकों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
सरकार की नीति पर उठाए सवाल
राज ठाकरे ने पत्र में लिखा कि पिछले दो महीनों से राज्य सरकार ने पहली कक्षा से हिंदी पढ़ाने की बात कर शिक्षा जगत में हलचल मचा दी है। उन्होंने कहा कि हिंदी कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं है, बल्कि देश के अन्य राज्यों की भाषाओं के समान एक भाषा है, और इसे अनिवार्य क्यों किया जा रहा है, यह स्पष्ट नहीं है। उन्होंने यह भी पूछा कि यदि सरकार अब दो भाषा नीति को अपना रही है, तो इस पर अभी तक लिखित आदेश क्यों नहीं जारी हुआ है।

आंदोलन की चेतावनी भी दी
राज ठाकरे ने अपने पत्र में यह भी लिखा कि उन्हें जानकारी मिली है कि पहले के फैसले के आधार पर हिंदी की किताबों की छपाई शुरू हो चुकी है। यदि सरकार अपने फैसले से पीछे हटती है और हिंदी को फिर से थोपने की कोशिश करती है, तो मनसे आंदोलन के लिए बाध्य होगी, जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
अन्य राज्यों का उदाहरण देते हुए स्पष्ट आदेश की मांग
उन्होंने कहा कि देश के कई राज्य कक्षा 1 से केवल दो भाषाओं की नीति को अपना चुके हैं, जो उनकी भाषाई पहचान को मजबूत करती है। महाराष्ट्र को भी इसी राह पर चलना चाहिए। ठाकरे ने शिक्षा विभाग से आग्रह किया कि वह एक स्पष्ट और आधिकारिक आदेश जारी करे जिसमें कहा गया हो कि पहली कक्षा से केवल मराठी और अंग्रेजी ही अनिवार्य भाषाएं हों।