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Saturday, March 15, 2025

राज्य बजट में उडुपी क्षेत्र को विशेष अनुदान की मांग, विधायक यशपाल सुवर्ण ने मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन

बेंगलुरु: आगामी राज्य बजट में उडुपी क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए विशेष अनुदान देने और तुलुनाडु की पारंपरिक धार्मिक परंपराओं को संरक्षित करने हेतु उडुपी विधायक यशपाल सुवर्ण ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए राज्य सरकार से वित्तीय सहायता की मांग की।

विकास कार्यों के लिए विशेष अनुदान की मांग

विधायक यशपाल सुवर्ण ने ज्ञापन में उडुपी जिले में शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले विद्यालयों के बुनियादी ढांचे के विकास हेतु विशेष अनुदान देने की अपील की। इसके अलावा, नए जिला अस्पताल भवन के संचालन के लिए 48.36 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि स्वीकृत करने, मातृ एवं शिशु अस्पताल के रखरखाव हेतु बजट आवंटन, मछली पकड़ने की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए डीजल सब्सिडी, पारंपरिक नौकाओं के लिए केरोसिन आपूर्ति, बंदरगाह विकास और ड्रेजिंग के लिए वित्तीय सहायता, सी-एम्बुलेंस की सुविधा, मत्स्य उद्योग से जुड़े लोगों को भी किसानों की तरह ऋण सुविधा देने और तटीय क्षेत्रों में समुद्री कटाव को रोकने के लिए स्थायी समाधान की मांग की गई।

इसके अलावा, नारायण गुरु विकास निगम के लिए 500 करोड़ रुपये का बजट, प्राकृतिक आपदा राहत हेतु 25 करोड़ रुपये का कोष, बारिश से प्रभावित मकानों को अधिकतम 5 लाख रुपये का मुआवजा, ब्रह्मावर कृषि केंद्र में कृषि कॉलेज की स्थापना, सरकारी बस सेवाओं का विस्तार, खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए खेल स्टेडियम निर्माण, ब्रह्मावर में टूरिस्ट बंगला और सरकारी मेडिकल कॉलेज की स्थापना जैसी मांगें भी रखी गईं।

साथ ही, परंपरागत ‘पर्याय महोत्सव’ के लिए 25 करोड़ रुपये की विशेष वित्तीय सहायता, मण्णपल्ले झील के विकास, कंबाला खेल को बढ़ावा देने के लिए बजट आवंटन, उडुपी शहर में अतिरिक्त उप संभागीय अधिकारी कार्यालय की मंजूरी और तटीय जिलों में रेत खनन की समस्या को हल करने के लिए अलग से रेत नीति लागू करने की मांग की गई।

धार्मिक परंपराओं को लेकर मुख्यमंत्री की सहमति

विधायक यशपाल सुवर्ण ने मुख्यमंत्री के समक्ष तुलुनाडु की पारंपरिक धार्मिक गतिविधियों जैसे कंबाला, यक्षगान, नेमोत्सव, नागमंडल और दैवाराधना से जुड़े कार्यक्रमों को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा बनाए गए कड़े नियमों के कारण इन परंपराओं के आयोजन में बाधाएं आ रही हैं। विशेष रूप से ‘कोळी अंका’ (पारंपरिक बलि प्रथा) को लेकर प्रशासन द्वारा लागू की गई सख्त शर्तों को हटाने की मांग की गई।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस संबंध में सकारात्मक रुख अपनाते हुए तुलुनाडु की धार्मिक परंपराओं को बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने और इन आयोजनों को निर्बाध रूप से संपन्न कराने का आश्वासन दिया।

तटीय क्षेत्र के विकास के लिए सरकार से विशेष सहयोग की उम्मीद

विधायक ने उडुपी सहित समूचे तटीय क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए सरकार से विशेष सहयोग की उम्मीद जताई और क्षेत्र की आवश्यकताओं को राज्य बजट में शामिल करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि उडुपी एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसकी परंपराओं और विकास को प्राथमिकता मिलनी चाहिए।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने विधायक की मांगों पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया और कहा कि उडुपी क्षेत्र के विकास के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।

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