भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकिंग धोखाधड़ी पर काबू पाने के लिए एक नई गाइडलाइन जारी की है, जो खास तौर पर एसएमएस और कॉल्स के माध्यम से होने वाली धोखाधड़ी को रोकने के उद्देश्य से तैयार की गई है।
बैंक इन नंबरों का करेंगे इस्तेमाल
आरबीआई ने बैंकों से एसएमएस और कॉल्स भेजने के लिए विशेष मोबाइल नंबर सीरीज का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है। इसके तहत अब बैंक केवल ‘1600xx’ सीरीज का ही इस्तेमाल करेंगे, ताकि ग्राहक आसानी से पहचान सकें कि कॉल बैंक से आ रही है। वहीं, मार्केटिंग कॉल्स और प्रमोशनल संदेश के लिए ‘140xx’ सीरीज का इस्तेमाल किया जाएगा।
31 मार्च 2025 तक लागू करना होगा नया नियम
आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे इस नई गाइडलाइन को 31 मार्च 2025 तक लागू करें। यह कदम डिजिटल लेन-देन में वृद्धि और धोखाधड़ी की घटनाओं को देखते हुए उठाया गया है।
ग्राहकों के मोबाइल नंबर का उपयोग अब वेरिफिकेशन, ओटीपी और लेन-देन के अलर्ट के लिए किया जा रहा है, और यह धोखाधड़ी के जोखिम को बढ़ा सकता है। इस बदलाव से धोखाधड़ी की पहचान करना आसान हो जाएगा और लोगों को फर्जी कॉल्स और मैसेज से बचाया जा सकेगा।
वित्तीय वर्ष 2024 में हुई बैंकिंग धोखाधड़ी की सबसे ज्यादा घटनाएं
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024 में सबसे ज्यादा बैंकिंग फ्रॉड की घटनाएं दर्ज की गईं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि वर्ष 2024 में कुल 36,073 बैंकिंग फ्रॉड की घटनाएं हुईं। हालांकि, नुकसान की राशि पिछले वर्षों की तुलना में कम रही। वित्तीय वर्ष 2020 में 1,85,468 रुपये का बैंकिंग फ्रॉड हुआ था, जबकि 2024 में यह आंकड़ा घटकर 13,930 रुपये रह गया।
नई गाइडलाइन का उद्देश्य और लाभ
आरबीआई का कहना है कि इस गाइडलाइन का उद्देश्य बैंकिंग धोखाधड़ी को कम करना है। जब बैंकों और कंपनियों से आने वाले कॉल्स और एसएमएस के नंबरों की पहचान स्पष्ट होगी, तो ग्राहक धोखाधड़ी से आसानी से बच सकेंगे। यह कदम डिजिटल बैंकिंग और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के बढ़ते उपयोग को देखते हुए उठाया गया है, ताकि लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।
बैंकिंग धोखाधड़ी से बचने के उपाय
आरबीआई का मानना है कि इस नई गाइडलाइन से ग्राहकों को धोखाधड़ी से बचाने में मदद मिलेगी, क्योंकि यह कदम उनकी पहचान और सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा। साथ ही, यह बैंकों को अपनी धोखाधड़ी रोधी प्रक्रियाओं को मजबूत करने का अवसर प्रदान करेगा।
इस नियम को लागू करने के लिए बैंकों को 31 मार्च 2025 तक समय दिया गया है, ताकि वे इस प्रक्रिया को व्यवस्थित रूप से शुरू कर सकें। यह बदलाव उन ग्राहकों के लिए राहत का कारण बनेगा जो ऑनलाइन बैंकिंग और अन्य डिजिटल लेन-देन करते हैं।
बैंकिंग फ्रॉड की बढ़ती घटनाएं
वित्तीय वर्ष 2024 में सबसे ज्यादा हुए बैंकिंग फ्रॉड। आरबीआई की सालाना रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2020 में करीब 8,703 बैंकिंग फ्रॉड को अंजाम दिया गया है, जो कि अगले एक साल में वित्तीय वर्ष 2021 में घटकर 7,338 हो गए।
हालांकि वित्तीय वर्ष 2022 में बैकिंग फ्रॉड की घटनाएं बढ़कर 9,046 हो गई। इसी तरह वित्तीय वर्ष में 13,564 बैंकिंग घटनाओं को अंजाम दिया गया है।
जबकि वित्तीय वर्ष 2024 में सबसे ज्यादा 36,073 बैंकिंग फ्रॉड की घटनाएं हुई हैं, हालांकि इन बैंकिंग फ्रॉड में फ्रॉड ज्यादा हुई है, लेकिन पैसे की कमी दर्ज की गई है। वित्तीय वर्ष 2020 में 1,85,468 रुपये का बैंकिंग फ्रॉड हुआ।
वहीं, वित्तीय वर्ष 2021 में 1,32,389 रुपये का देश को बैंकिंग फ्रॉड के तौर पर नुकसान का सामना करना पड़ा है। वित्तीय वर्ष 2022 में यह आंकड़ा घटकर 45,458 रुपये रह जाता है। जबकि वित्तीय वर्ष 2023 में 26,127 रुपये और वित्तीय वर्ष 2024 में 13,930 रुपये रह जाता है।