-2 C
Innichen
Friday, December 27, 2024

सीताराम येचुरी को राजनेताओं ने दी श्रद्धांजलि, पीएम मोदी बोले- वे वामपंथ के अग्रणी प्रकाश थे

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी का आज 72 साल की उम्र में निधन हो गया। गंभीर रूप से बीमार होने के बाद उन्हें दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था जहां आज दोपहर उन्होंने आखिरी सांस ली। उन्हें सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद 19 अगस्त को एम्स में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। येचुरी ने अपने शव को एम्स को दान देने की इच्छा जताई थी और उनके परिवार ने उनकी इच्छा को पूरा करते हुए येचुरी का शव एम्स को दान कर दिया है। सीताराम येचुरी के निधन के साथ ही देश में वामपंथी राजनीति का बड़ा स्तंभ ढह गया है। वे लगातार तीन बार माकपा के महासचिव चुने गए। वे छात्र जीवन से ही राजनीति के मैदान में सक्रिय हो गए थे। वे स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष रहने के साथ ही जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रह चुके थे। राज्यसभा सदस्य के रूप में भी उन्होंने देश से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर लगातार अपनी बेबाक राय सबके सामने रखी। उनके निधन पर कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने गहरा शोक जताते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। हैदराबाद में हुई शुरुआती पढ़ाई

सीताराम येचुरी का जन्म 12 अगस्त, 1952 की तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के तेलुगु भाषी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता एसएस येचुरी आंध्र प्रदेश परिवहन विभाग में इंजीनियर थे और मां कलपक्म येचुरी गर्वमेंट ऑफिसर थीं। सीताराम येचुरी की शुरुआती पढ़ाई हैदराबाद में हुई थी। उन्होंने हैदराबाद के ऑल सेंट्स हाईस्कूल में दसवीं तक की पढ़ाई की थी।

अखिल भारतीय स्तर पर पहला स्थान

सीताराम येचुरी पढ़ाई में काफी होनहार थे और उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली को अपना ठिकाना बनाया उन्होंने दिल्ली के प्रेसिडेंट्स स्कूल दाखिला लिया। वे पढ़ाई में कितने प्रतिभाशाली थे,इसे इस बात से समझा जा सकता है कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड उच्चतर माध्यमिक परीक्षा में येचुरी ने अखिल भारतीय स्तर पर पहला स्थान हासिल किया था। इसके बाद येचुरी ने दिल्‍ली के स्‍टीफन कॉलेज से इकोनॉमिक्‍स में बीएम ऑनर्स किया। बाद में उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में दाखिला लिया और JNU में अपनी स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। 1975 में येचुरी जेएनयू में ही पीएचडी करने लगे।

छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रियता

येचुरी ने छात्र जीवन से ही राजनीति के मैदान में अपनी सक्रियता बढ़ा दी थी। जेएनयू में दाखिला लेने के बाद वे राजनीति में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने लगे थे। 1974 में वे स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया में शामिल हुए और बाद में माकपा के सदस्य बने। 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से देश में इमरजेंसी लगाए जाने के बाद वे लोकतंत्र बहाली की लड़ाई लड़ने के लिए अंडरग्राउंड हो गए थे।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles