Mobilenews : निंबाहेड़ा : पिछले दो दिनों से जिले में एवं राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में बे मौसम बरसात से अफीम किसानों को भारी नुकसान होने का अंदेशा है क्योंकि अभी अफीम किसान लुवाई चिराई का कार्य कर रहा है। क्षेत्र में अफीम काश्तकारों ने अफीम खेती में चीरे लगाए थे जो हुई बरसात से अफीम धुल गई जिससे किसानों को बहुत भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। अफीम किसानों का कहना है कि अगर यह बरसात ऐसी ही रही तो औसत में कमी हो सकती हैं।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति विकास परिषद के प्रदेश प्रवक्ता उपाध्यक्ष बिहारी लाल सोलंकी प्रदेश सचिव रामचंद्र बामनिया प्रदेश संगठन सचिव रामचंद्र मीणा वरिष्ठ समाजसेवी यू एस शर्मा ने बे मौसम बरसात पर किसानों के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए नारकोटिक्स विभाग एवं राज्य सरकार केंद्र सरकार से मांग अनुरोध किया है कि बरसात को ध्यान में रखते हुए किसानों को अफीम तौल में औसत मे शीतलता बरते जिससे कि किसानों के पट्टे कटे नहीं।
बारिश-ओलावृष्टि ने बर्बाद की पैदावार
कड़ी मेहनत एवं सुरक्षा के साथ खेतों में तैयार की अफीम की फसल में चीरा लगाने का काम शुरु होने के साथ ही चली तेज हवाओं ने खेतों में फसल के बिछोने लगा दिए। सारी मेहनत को ढेर होता देख काश्तकार पेशोपेश में आ गए। जिन्होंने चीरा लगाया ही था, उनके साथ तो सिर मुंंडाते ही ओले पड़ने वाली कहावत चरितार्थ हो गई।
पौधों को हवा के प्रकोप से बचाने के लिए लकड़ियों के सहारे दिए तो वहीं पक्षियों से बचाने के लिए नेट लगाकर बड़ा खर्चा भी किया लेकिन ऐनवक्त पर प्राकृतिक आपदा ने फिर से सारा औसत बिगाड़ दिया है। सीपीएस के तहत जारी नए काश्त लाइसेंस वाले काश्तकारों को तो डोडो में चीरा नहीं लगाना था लेकिन जिन पुराने काश्तकारों को फसल में चीरा लगाना था, उनकी मुसीबत बढ़ गई है। सबसे ज्यादा मुश्किल उनकी बढ़ी है, जिन्होंने चीरा लगाया ही था और तेज हवाओं का दौर शुरु हो गया, जिससे ना केवल अफीम के दूध का उत्पादन प्रभावित हुआ बल्कि पौधे तक आड़े पड़ गए, जिससे बची आस भी टूट गई है।