रायपुर। राष्ट्र संत आचार्य विद्यासागर महा मुनिराज जी आज ब्रम्हलीन हो गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, स्पीकर डॉ. रमन सिंह सहित देश के तमाम बड़े नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। पीएम मोदी आचार्य विद्यासागर के भक्तों में शामिल हैं। एक बार पीएम मोदी उनके मिलने विशेष रुप से डोंगरगढ़ पहुंचे थे।
यह बात विधानसभा चुनाव के दौरान की है। 5 नवंबर को नागपुर से पीएम मोदी सीधे डोंगरगढ़ पहुंचें और आचार्य का आशीर्वाद लेने के बाद फिर लौट गए। पीएम के इस दौरे की जानकारी किसी को नहीं दी गई थी। पीएम जब डोंगरगढ़ पहुंचे तो वहां केवल पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह की मौजूद थे। इसके अलावा पार्टी के नेताओं को भी इसकी खबर नहीं थी। इसके एक दिन पहले पीएम की दुर्ग में सभा हुई थी, लेकिन उसी दिन वे आचार्य के दर्शन करने नहीं जा पाए थे। ऐसे में अगले दिन 5 नवंबर को उनका नागपुर में कार्यक्रम था। कार्यक्रम के बीच में ही वे डोंगरगढ़ पहुंच गए थे। पीएम के इस दौरे की लोगों को जानकारी उनके ट्वीट से हुई। मोदी ने आचार्य से आशीर्वाद लेते अपनी फोटो एक्स पोस्ट करके लिखा, ”छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में चंद्रगिरि जैन मंदिर में आचार्य श्री108 विद्यासागर जी महाराज का आशीर्वाद पाकर धन्य महसूस कर रहा हूं।
सीएम विष्णुदेव साय ने जताया शोक
मुख्यमंत्री साय ने राष्ट्र संत आचार्य श्री विद्यासागर महा मुनिराज जी के ब्रम्हलीन होने पर उन्हें नमन किया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का देश व समाज के लिए योगदान युगों-युगों तक स्मरण किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि विश्व वंदनीय, राष्ट्र संत आचार्य श्री विद्यासागर महामुनिराज जी के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ में सल्लेखना पूर्वक समाधि का समाचार प्राप्त हुआ। छत्तीसगढ़ सहित देश-दुनिया को अपने ओजस्वी ज्ञान से पल्लवित करने वाले आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को देश व समाज के लिए किए गए उल्लेखनीय कार्य, उनके त्याग और तपस्या के लिए युगों-युगों तक स्मरण किया जाएगा। आध्यात्मिक चेतना के पुंज आचार्य श्री विद्यासागर जी के श्रीचरणों में कोटि-कोटि नमन। आज भी पीएम मोदी ने अपनी वहीं फोटो पोस्ट की है।
प्रदेश में राजकीय शोक
राज्य शासन द्वारा वर्तमान के वर्धमान कहे जाने वाले विश्व प्रसिद्ध दिगंबर जैन मुनि संत परंपरा के आचार्य विद्यासागर महाराज जी के सम्मान में आज छत्तीसगढ़ में आधे दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा तथा राजकीय समारोह एवं कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जायेंगें।
जानिए जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज के बारे में
जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 शरद पूर्णिमा के दिन कर्नाटक के बेलगाम जिले के सदलगा गांव में एक जैन परिवार में हुआ था। जन्म में बालक विद्याधर जी का बचपन से ही धर्म में गहरी रुचि थी। जिस घर में उनका जन्म हुआ था, अब वहां एक मंदिर और संग्रहालय है। 4 बेटों में दूसरे नंबर के बेटे विद्याधर ने कम उम्र में ही घर का त्याग कर दिया था। 1968 में 22 साल की उम्र में अजमेर में आचार्य शांतिसागर से जैन मुनि के रूप में दीक्षा ले ली।
इसके बाद 1972 में महज 26 साल की उम्र में उन्हें आचार्य पद सौंपा गया था। आचार्य विद्यासागर महाराज की माता का नाम श्रीमति और पिता का नाम मल्लपा था। उनके माता-पिता ने भी उनसे ही दिक्षा लेकर समाधि मरण की प्राप्ति की थी। पूरे बुंदेलखंड में आचार्य विद्यासागर महाराज ‘छोटे बाबा’ के नाम से जाने जाते हैं क्योंकि उन्होंने मप्र के दमोह जिले में स्थित कुंडलपुर में बड़े बाबा आदिनाथ भगवान की मूर्ति को मंदिर में रखवाया था और कुंडलपुर में अक्षरधाम की तर्ज पर भव्य मंदिर का निर्माण भी करवाया था।
कई भाषाओं का ज्ञान
आचार्य जी को हिन्दी, मराठी और कन्नड़ भाषा का ज्ञान था। उन्होंने हिन्दी और संस्कृत के विशाल मात्रा में रचनाएं भी की हैं। सौ से अधिक शोधार्थियों ने उनके कार्य का मास्टर्स और डॉक्ट्रेट के लिए अध्ययन किया है। उनके कार्य में निरंजना शतक, भावना शतक, परीषह जाया शतक, सुनीति शतक और शरमाना शतक शामिल हैं। उन्होंने काव्य मूक माटी की भी रचना की है। विभिन्न संस्थानों में यह स्नातकोत्तर के हिन्दी पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है।