कर्नाटक के पड़ोसी राज्य तमिलनाडु के लिए 26 सितंबर को बेंगलुरु में राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया गया है। यह विरोध कावेरी नदी का 5000 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के विरोध में हो रहा है। इस हड़ताल के परिणामस्वरूप व्यवधान उत्पन्न होने की संभावना है। इसके चलते बेंगलुरु में स्कूल-कॉलेज भी बंद है। यह हड़ताल किसान संगठनों और कन्नड़ समर्थक समूहों के नेतृत्व में सामूहिक रूप से किया जाएगा।
क्या है किसान संगठन की मांग
संगठन की मांग है कि राज्य सरकार तमिलनाडु के लिए पानी छोड़ने से परहेज करें। इसके लिए मंगलवार को सुबह 11 बजे एक विरोध मार्च निर्धारित किया गया है, जो टाउन हॉल से शुरू होकर मैसूर बैंक सर्कल तक चलेगा। इस विरोध मार्च को सफल बनाने के लिए संगठनकर्ताओं ने स्कूलों, कॉलेजों, दुकानदारों, व्यापार मालिकों और परिवहन प्रदाताओं से भी अपील की है कि वे राज्यव्यापी बंद में उनका समर्थन करें।
स्कूल और कॉलेज रहेंगे बंद
हालांकि, स्कूल-कॉलेज के बंद होने को लेकर फिलहाल कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन इस राज्यव्यापी बंद के चलते बेंगलुरु में यातायात प्रतिबंधित रेहगा। ऐसे में स्कूलों पहुंचना मुश्किल है। छात्रों और अभिभावकों को संभावित बंद के बारे में अपडेट प्राप्त करने के लिए अपने संबंधित स्कूल विभागों से पता करना होगा। छात्रों और अभिभावकों को सलाह है कि यदि उनके स्कूल खुले भी हैं तो यातायाता और अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बाहर न जाएं। इसी बीच शांताकुमार (कर्नाटक जल संरक्षण समिति के अध्यक्ष) ने स्कूलों, कॉलेजों, आईटी कंपनियों और फिल्म चैंबर से बेंगलुरु बंद के समर्थन में छुट्टी घोषित करने की अपील की है।
तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच कावेरी विवाद
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, रविवार को तमिलनाडु के त्रिची में किसानों के एक समूह ने कर्नाटक के साथ चल रहे विवाद को लेकर कावेरी नदी के पानी में विरोध प्रदर्शन किया। संगठन तमिलनाडु के लिए कावेरी का पानी छोड़ने की मांग कर रहे थे। लेकिन कर्नाटक के मांड्या में किसान कर्नाटक के बांधों से तमिलनाडु के लिए छोड़े जाने वाले पानी को रोकने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। बता दें, कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) ने राज्य (कर्नाटक) को 13 सितंबर से 15 दिनों के लिए अपने पड़ोसी राज्य तमिलनाडु को 5000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया है, जिसके बाद से पूरे कर्नाटक में किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
कावेरी विवाद में अदालत ने हस्तक्षेप करने से किया इनकार
न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की संयुक्त बेंच ने गुरुवार को कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। इस पर बेंच ने कहा कि सीडब्ल्यूएमए और कावेरी जल विनियमन समिति (सीडब्ल्यूआरसी) दोनों नियमित रूप से हर 15 दिनों में पानी की आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं और निगरानी कर रहे हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक तमिलनाडु सरकार द्वारा कर्नाटक के अदालत में एक याचिका दायर की गई थी कि कावेरी जल में वर्तमान हिस्सेदारी को 5,000 से बढ़ाकर 7,200 क्यूसेक प्रतिदिन कर दी जाए, जिस पर बेंच ने फैसला करने से इनकार कर दिया है।