शरद पवार ने मंगलवार को राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ने की घोषणा कर दी है। पवार ने इसकी वजह बताते हुए कहा कि ‘मैंने आज राष्ट्रवादी कांग्रेस (NCP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से रिटायर होने का फैसला किया है’। बता दें कि इससे पहले शरद पवार ने कहा था कि ‘रोटी पलटने का वक्त आ गया है। किसी ने मुझसे कहा कि रोटी सही समय पर पलटनी है। न पलटे तो कड़वी हो जाती है। इस बयान पर अजीत पवार ने कहा कि नए चेहरों को आगे लाना NCP की परंपरा रही है’। शरद पवार ने कहा, कई साल तक मुझे राजनीति में पार्टी को लीड करने का मौका मिला है। इस उम्र में आकर ये पद नहीं रखना चाहता। मुझे लगता है कि और किसी को आगे आना चाहिए। पार्टी के नेताओं को ये फैसला करना होगा कि अब पार्टी का अध्यक्ष कौन होगा’?
शरद पवार ने कहा कि ‘1999 में एनसीपी के गठन के बाद से मुझे अध्यक्ष रहने का मौका मिला. आज इसे 24 साल हो गए हैं। 1 मई 1960 से शुरू हुई यह सार्वजनिक जीवन की यात्रा पिछले 63 सालों से बेरोकटोक जारी है। इस दौरान मैंने महाराष्ट्र और देश में अलग अलग भूमिकाओं में सेवा की है। पवार ने आगे कहा कि मेरा राज्यसभा कार्यकाल तीन साल का बचा है। इस दौरान मैं कोई पद न लेते हुए महाराष्ट्र और देश से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करूंगा’।
पद ना छोड़ने की अपील कर रहे कार्यकर्ता
बता दें कि शरद पवार के पद छोड़ने के ऐलान के साथ ही कार्यक्रम में मौजूद कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने शरद पवार से पद ना छोड़ने की गुहार भी लगायी। इतना ही नहीं कुछ समर्थक तो रोते भी नजर आए। वही इसे लेकर अजित पवार ने कहा, हम परिवार के लोग और पार्टी के नेता साथ में बैठेंगे। पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए फैसला किया जाएगा। पार्टी की बैठक में आपकी भावनाओं के तहत ही शरद पवार फैसला करेंगे, ये आश्वासन मैं आपको दे सकता हूं’।
शरद पवार का सियासी सफर
शरद पवार के सियासी सफर पर एक नजर डाले तो 12 दिसंबर, 1940 को जन्मे शरद पवार ने 1967 से कांग्रेस के साथ अपनी राजनीति सफर की शुरूआत की थी। उन्होंने 1984 में बारामती से पहली बार लोकसभा चुनाव जीता। वही 20 मई, 1999 को कांग्रेस से अलग होकर 25 मई, 1999 को NCP बनाई। इस दौरान शरद पवार ने तारिक अनवर और पीए संगमा ने मिल कर एनसीपी बनाई थी। ये तीनों पहले कांग्रेस में थे। शरद पवार के नाम महाराष्ट्र का सबसे यंग मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड है। 1993 में उन्होंने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। वही वे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
बता दें कि शरद पवार के पद छोड़ने के ऐलान के साथ ही कार्यक्रम में मौजूद कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने शरद पवार से पद ना छोड़ने की गुहार भी लगायी। इतना ही नहीं कुछ समर्थक तो रोते भी नजर आए। वही इसे लेकर अजित पवार ने कहा, हम परिवार के लोग और पार्टी के नेता साथ में बैठेंगे। पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए फैसला किया जाएगा। पार्टी की बैठक में आपकी भावनाओं के तहत ही शरद पवार फैसला करेंगे, ये आश्वासन मैं आपको दे सकता हूं’।