यूपी की योगी सरकार ने राज्य में लव जिहाद को रोकने और इसको बढ़ावा देने की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने जा रही है। विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत में ही सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार ने एक विधेयक लाकर साफ कर दिया कि सरकार इसके प्रति बेहद गंभीर है। विधानसभा में मंगलवार को यूपी विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक पेश करके सरकार ने कहा कि अब ‘लव जिहाद’ पर उम्रकैद की सजा होगी। संशोधित अधिनियम में छल कपट या जबर्दस्ती कराये गये धर्मांतरण के मामलों में कानून को पहले से कड़ा बनाते हुए अधिकतम आजीवन कारावास या पांच लाख रुपये के जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है।
इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडेय के कुछ बोलने पर मुख्यमंत्री ने कहा. “यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में आपका स्वागत है।” सीएम योगी आदित्यनाथ बोले, “… मैं आपको विपक्ष के नेता के रूप में चयन के लिए बधाई देता हूं… यह एक अलग विषय है कि आपने चाचा को गच्चा दे ही दिया। चाचा बेचारा हमेशा ऐसा ही मार खाता है। उनकी नियति ही ऐसी है…”
सीएम ने कहा- समाजवादी पार्टी को इस विषय पर बोलने का हक नहीं है
यूपी विधानसभा में इस पर बोलते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, “महिला सुरक्षा को लेकर यह सरकार बहुत गंभीर है। इस सरकार के बनते ही हमने एंटी रोमियो स्क्वॉड बनाए… जब हमने एंटी रोमियो स्क्वॉड बनाए तो सबसे पहले इसका विरोध समाजवादी पार्टी ने किया। महिलाओं के खिलाफ अपराध के ज्यादातर मामलों में समाजवादी पार्टी से जुड़े लोग किसी न किसी तरह से जुड़े हुए हैं… वे उस पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं जो कहती थी ‘लड़के हैं, गलती कर देते हैं’… वे महिला सुरक्षा पर कैसे बोल सकते हैं, समाजवादी पार्टी खुद महिला सुरक्षा के लिए खतरा है… सरकार सजग है, और हर बेटी और व्यापारी को सुरक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है…”
संशोधित विधेयक में किसी महिला को धोखे से जाल में फंसाकर धर्मांतरण या लव जिहाद कर अवैध तरीके से विवाह करने और उत्पीड़न के दोषियों को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। पहले इसमें अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान था। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने सदन में पहले दिन सोमवार को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम, 2024 को सदन में रखा था। इसमें प्रस्ताव किया गया है कि कोई व्यक्ति धर्मांतरण कराने के इरादे से किसी को अगर धमकी देता है, हमला करता है, विवाह करता या करने का वादा करता है या इसके लिए साजिश रचता है, महिला, नाबालिग या किसी की तस्करी करता है तो उसके अपराध को सबसे गंभीर श्रेणी में रखा जाएगा।
संशोधित अधिनियम में ऐसे मामलों में 20 वर्ष कारावास या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है। जब यह विधेयक के रूप में पहली बार पारित करने के बाद कानून बना तब इसके तहत अधिकतम 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया था। संशोधित प्रावधान के तहत यह व्यवस्था दी गयी है कि धर्मांतरण मामलों में अब कोई भी व्यक्ति प्राथमिकी दर्ज करा सकेगा। इससे पहले मामले की सूचना या शिकायत देने के लिए पीड़ित व्यक्ति, उसके माता-पिता, भाई-बहन का होना जरूरी था, लेकिन अब दायरा बढ़ा दिया गया है। अब कोई भी इसकी सूचना लिखित तौर पर पुलिस को दे सकता है।