राजस्थान में भाजपा पूरी तरह से चुनावी मोड में आ चुकी है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में प्रदेश संगठन में बदलाव किया है। पार्टी अध्यक्ष सतीश पूनिया की जगह चित्तौड़गढ़ से भाजपा सांसद सीपी जोशी को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। राजनीति के जानकारों की मानें तो पिछले 3 साल में सतीश पूनिया ने जीतोड़ मेहनत कर संगठन को मजबूत किया। लेकिन मुख्यमंत्री पद की दावेदारी और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से पंगा लेना पूनिया को भारी पड़ गया। इससे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और संघ में नाराजगी बढ़ती चली गई। जिसका खामियाजा सतीश पूनिया को उठाना पड़ा। इस बदलाव के साथ ही प्रदेश में संगठन महामंत्री को बदले जाने की चर्चा पर भी विराम लग गया है। माना जा रहा है कि अब प्रदेश प्रभारी की नियुक्ति के साथ ही प्रदेश में भाजपा चुनाव में उतर जाएगी।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने अपने कार्यकाल के दौरान प्रदेश भर में दौरे कर जमीनी कार्यकर्ताओं पर अपनी पकड़ मजबूत की। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान पार्टी को मजबूत करने के हरसंभव प्रयास किए। प्रदेश में आंदोलनों के जरिए पूनिया के नेतृत्व में पार्टी ने विपक्ष के तौर पर अपनी जगह बनाए रखी। जानकार बताते हैं कि जन आक्रोश यात्रा के दौरान सतीश पूनिया ने पूरे प्रदेश में पार्टी का माहौल तैयार किया। लेकिन सतीश पूनिया के समर्थकों द्वारा बार-बार मुख्यमंत्री पद की दावेदारी और वसुंधरा राजे के विरोध के चलते पार्टी हाईकमान के सामने पूनिया की सभी कमजोर हुई। यही वजह रही कि सतीश पूनिया को रिप्लेस कर सीपी जोशी को पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।
सतीश पूनिया समर्थकों का दावा है कि पार्टी पूनिया को नेता प्रतिपक्ष बनाएगी। इसलिए उन्हें अध्यक्ष पद से हटाया गया है। अगर पार्टी ऐसा नहीं करती है तो इससे जाट समुदाय में नाराजगी बढ़ जाएगी। पार्टी के सूत्र बताते हैं कि विधानसभा में राजेंद्र राठौड़ जैसे नेता भी मौजूद हैं। जिन्हें विधायिका का लंबा अनुभव है। राजेंद्र राठौड़ भी नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में शामिल है। राठौड़ राजपूत समुदाय से आते हैं। विधानसभा की कार्यवाही का अच्छा अनुभव भी रखते हैं। ऐसे में पार्टी ने अगर राजेंद्र राठौड़ जैसे नेताओं की अनदेखी की तो राजपूत समाज में भी नाराजगी बढ़ना भी स्वाभाविक है।