बेंगलुरू : श्रीरामपुर स्थित जे.पी.पी श्रमणी भवन में प्रवचन अनेक श्रावक एवं श्रविकाओं को धर्म के विषय मैं समझाते हुए मुनिश्री राजपद्मसागरजी म.सा.ने कहा : हमें जीवन जीने के लिए सब कुछ चाहिए, पैसे चाहिए, खाना चाहिए, गाडी चाहिए, रहने के लिए खुद का घर चाहिए, और धर्मबिंदु ग्रंथ के रचचिता आचार्य श्रीमद् हरिभद्र सूरीजी म.सा कहते कि जीवन को सुंदर ढंग से जीना हो, किर्ती- यश कि प्राप्ति करना हो तो अरिहंत परमात्मा के द्वारा बताये हुए मार्ग पर चलना और धर्म की आराधना- एवं उनकी उपासना करनी चाहिए।
मुनि श्री राजपद्मसागरजी म. सा ने कहा कि धर्म की जो आराधना करता है, वो अच्छी गति को पाता है. और शंत्रुजय महातीर्थ के बारे में समझाया कि जो अनेक ऐसे पापी भी पावन बने है। ऐसे तीर्थ की यात्रा करना। सिद्धाचल’ मतलब कहा कि सिधा चलना है। जो सिधा चलता है, उसको सिद्धगति की प्राप्ति हो जाती है। और जो अरिहंत परमात्मा के बताये हुए मार्ग पर नहीं चलता वो संसार में भटकता है।
और मुनिश्री श्रमणपद्मसागरजी म.सा ने कहा कि अरिहंत परमात्मा करुणा के सागर होते है। उनके अंदर करुणारस का सागर है, जो अरिहंत परमात्मा होते है वो सभी जीवो को सुखी बनाए बनाऊ ऐसी उनकी उत्कृष्ट भावना ही उनको अरिहंत प्रभु बनाती है. और 23 जुलाई रविवार के दिन महामंगलकारी भव्य-भावो से भर देने वाला भक्तामर महा अनुष्ठान है । सामुहिक पुण्य उपार्जन करने का शुभ अवसर आया है, तो चुके नहि सब साथ में मिलकर पुण्य उपार्जन करने का ।