बेंगलोर: नेलमंगला मे महिला मंडल ने शुक्रवार सुबह दशामाता का पूजन हुआ। इस अवसर पर महिलाओं ने दशा माता का व्रत रखकर पूजा-पाठ की। महिलाओं ने परिवार की दशा सुधारने और परिवार में सुख-समृद्धि के लिए पीपल के वृक्ष की परिक्रमा लगाई और सुहाग की सुरक्षा के लिए कच्चे सूत को वृक्ष पर लपेटकर बांधा। साथ ही महिलाओं ने एकत्र होकर कथा भी सुनी। नेलमंगला स्थित माता शिव मंदिर के पास, सहित अन्य कालोनी और मोहल्लों से महिलाओं ने दशा माता का विधि-विधान से पूजन किया।
महिलाओं ने घर की बिगड़ी दशा सुधारने एवं घर में सुख-समृद्धि, धन-धान्य और वैभव से परिपूर्ण रहने की कामना के साथ दशामाता का व्रत रखा। इस दिन व्रतधारी महिलाओं ने स्नान ध्यान के बाद पीपल के वृक्ष की हल्दी, कुंकुम, चने की दाल, दही, नारियल आदि से पूजन किया। इसके बाद पीपल के पेड़ की 10 परिक्रमा कर सूत का लपेटकर लक्ष्मी मैया से सुख-समृद्धि की कामना की। पूजन करने आई महिलाओं ने बताया की पूजन के बाद सभी महिलाएं सूत के धागे की 10 तार की माला बनाएगी। जिसमें 10 गठानें बांधकर उसे 10 दिनों तक अपने गले मे पहनेंगी।
इसके पीछे यह मान्यता है कि इससे लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं एवं सदा घर में निवास करती हैं। पूजन के पश्चात महिलाओं ने व्रत कथा का श्रवण भी किया। इस दौरान महिलाओं ने बताया कि इस पूजन के दौरान हल्दी के पांच छापे पीपल के पेड़ को लगाने के बाद पांच छापे घर के मुख्य द्वार पर लगाए जाते हैं। श्रद्धालुओं ने बताया कि चैतमास की कृष्ण पक्ष में होली के 10 दिन बाद माता दशा का व्रत किया जाने की परंपरा है। मान्यता है कि दशामाता का पुजन करने से घर में सुख शांति बनी रहती है वही पुराने खराब दिन चले जाते हैं और अच्छे दिनों का आगमन होता है इसीलिए अपने परिवार की सुख समृद्धि धन वृद्धि के लिए महिलाएं बरगत पीपल के पेड़ और झाड़ू की पूजा अर्चना करती हैं। मंदिर परिसर में महिलाओं ने सामूहिक रूप से पूजन किया। नेमाराम सैणचा ने बताया कि इस अवसर पर महिला मंडल समीयादेवी सैणचा, भूरीदेवी, राजदेवी, मैनादेवी, सेमादेवी, चम्पादेवी, नोजीदेवी एवं आस पास की महिलाए मौजूद रही।