विशेष स्थान है। पंचांग के आधार पर यह फाल्गुन पूर्णिमा सहित दो दिवसीय त्योहार है। जो बसंत ऋतु की समाप्ति और ग्रीष्म ऋतु के आगमन का भी प्रतीक है। इस बार यह पर्व चार शुभ योग के संयोग में आ रहा है। भद्रा और चन्द्र ग्रहण की उपस्थिति में 24 मार्च को होलिका दहन और 25 मार्च को धुलंडी पर्व मनाया जाएगा। हालांकि चन्द्र ग्रहण और भद्रा का प्रभाव इस पर्व पर लागू नही होगा। स्वयं को भगवान से भी बड़ा मानकर हरिण्यकश्यप श्री हरि भक्ति में होलिका की सहायता से जलाने चला था। हरि कृपा से प्रहलाद का कुछ नहीं बिगड़ा पर होलिका का स्वयं नाश हो गया। इसीलिए इस दिन होलिका दहन कर होली व अगले दिन धुलंडी पर्व मनाते हैं। प्राचीन मान्यता यह भी है कि सबसे पहले बृज में राधा-कृष्ण ने होली खेलने की शुरुआत की थी। काशी के मणिकर्णिका घाट में भगवान शंकर द्वारा श्मशान में होली खेलने और अवध में भगवान राम और माता सीता के वे होली खेलने का उल्लेख भी शास्त्रों में मिलता है।
ये चार शुभ योग रहेंगे इस दिन
पंडितों ने बताया कि इस बार होलिका पर्व पर चार शुभ योग बन रहे है, जिसमे वृद्वि योग रात्रि 09:30 तक है। ध्रुव योग 24 मार्च को सम्पूर्ण दिवस रहेगा इस दिन उत्तरा फाल्गुनी और हस्त नक्षत्र का भी निर्माण हो रहा है। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र 10:40 बजे तक रहेगा और इसके बाद हस्त नक्षत्र शुरू हो जाएगा। ज्योतिष शास्त्र में इन सभी को पूजा-पाठ के लिए श्रेष्ठ समय बताया गया है। • पूर्णिमा तिथि: 24 मार्च 2024 को सुबह 8.13 बजे से 25 मार्च 2024 सुबह 11.44 बजे तक रहेगी। होलिका दहन मुहूर्तः रात्रि 11:13 से प्रातः 12:07 तक • होलिका दहन अवधिः 1 घंटा 20