पाली। सनातन धर्म के अनुसार गुरुदेव मनष्य रुप में भगवान के प्रतिनिधि के रुप में होते है जो अपना पुरा जीवन समाज सेवा और भगवान की भक्ति में समर्पित कर देते है मानव समाज को भगवान से जोड़कर सही दिशा में संचालन करने का काम करते है। समाजसेवी हडमतसिंहजी खुंडावास ने बताया की शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ मास की गुरु पुर्णिमा से भगवान विष्णु क्षीर सागर में शयन करने चले जाते हैं और कार्तिक मास की पुर्णिमा के दिन भगवान पुनः निद्रा से जागते हैं। इस चार महिनो को चातुर्मास कहा जाता है।
इस अवधि में की गई साधना का अनन्त फल मिलता है रामानंदी पंथ खाकी अखाड़ा के 110 वर्षीय वयोवृद्ध महान तपस्वी प्रातः स्मरणीय परम् पूज्य सतगुरुदेव श्री श्री 1008 श्री बालकदासजी महाराज इस साल चातुर्मास की दिव्य साधना उन्दरा चौराया आश्रम में 20 जुलाई से प्रारंभ होगा। दुदावत परिवार खुंडावास की अगुवाई में अपने गांव से उंदरा चौराहा आश्रम तक सभी भक्तो के साथ जय गुरुदेव के जयकारे लगाते हुऐ रथ द्वारा वरघोड़ा शोभायात्रा निकाली जाएगी। इस अवसर पर स्थानीय भक्त भाविको के साथ गुजरात महाराष्ट्र कर्नाटक के हजारों प्रवासी भक्तगण आकर गुरूजी के दिव्य दर्शन कर आशिर्वाद लाभ प्राप्त करेंगे।