Friday, September 20, 2024
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बांग्लादेश में तख्तापलट, PM हाउस में घुसे प्रदर्शनकारी, शेख हसीना बहन के साथ देश छोड़कर भागीं

ढाका। बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन और आगजनी के बीच हालात लगातार खराब हो गए हैं। पूरे देश में लगभग हर शहर में लोगों के द्वारा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों के द्वारा सरकार से संबंधित सभी सामानों सभी लोगों पर हमला किया जा रहा है। हालात इतने बेकाबू हो चुके हैं कि 2009 से सत्ता पर काबिज प्रधानमंत्री शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा है। बांग्लादेशी मीडिया के अनुसार पीएम हसीना इस्तीफा देकर भारत के लिए रवाना हो चुकी है। उनके साथ उनकी बहन भी भारत के लिए निकल गई है। पीएम हसीना के इस्तीफे के बाद बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकार-उज- जमानी ने एक अंतरिम सरकार के गठन का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि पीएम हसीना ने इस्तीफा दे दिया है और वह अंतरिम सरकार को गठित करने में मदद करेंगी।

इससे पहले बांग्लादेश में हजारों प्रदर्शनकारी छात्रों ने देशव्यापी कर्फ्यू को धता बताते हुए लगभग हर शहर में प्रदर्शन करना जारी रखा। रविवार को हुई हिंसा में करीब 100 लोग अपनी जान से हाथ धो चुके हैं। प्रदर्शनकारी छात्रों ने ढाका के शाहबाग चौहारे पर एकत्रित होकर अपने प्रदर्शन को आगे बढ़ाया। बांग्लादेशी मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार प्रदर्शन कारियों ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री आवास को भी निशाना बनाया और जबरन आवास में घुस गए। प्रदर्शनकारी लगातार आवामी लीग के कार्यकर्ताओं और नेताओं को निशाना बना रहे हैं। शेख हसीना के बेटे ने देश के सुरक्षाबलों से अपील की है कि वह संभावित तख्तापलट के प्रयासों को सफल नहीं होने दें। देश का मुख्य विपक्षी दल बीएनपी के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में इस प्रदर्शन में शामिल होकर तख्तापलट की कोशिश में लगे हुए हैं।

पहले भी भारत में शरण ले चुकी हैं शेख हसीना

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब शेख हसीना को शरण लेने के लिए भारत की तरफ देखना पड़ा हो, इससे पहले भी वह भारत में शरण लेकर लगभग 6 साल गुजार चुकी है।बांग्लादेश की आजादी के बाद शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान देश के पीएम बने लेकिन उस समय पाकिस्तान समर्थित सेना की कुछ टुकड़ियों को यह पसंद नहीं आया। 1975 में उन्होंने विद्रोह कर दिया और शेख मुजीब और उनके परिवार के सभी सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया गया। परिवार के सदस्यों के साथ-साथ बांग्लादेश में मौजूद शेख मुजीब के हर करीबी सहयोगी और रिश्तेदार को मौत के घाट उतार दिया गया।

शेख हसीना उस वक्त अपने पति के साथ जर्मनी में थीं इसलिए उनकी और उनकी बहन की जान बच गई। भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें भारत में शरण दे दी। 1975 से 1981 तक वह भारत की राजधानी दिल्ली में विदेशी मेहमान के तौर पर रहीं। उसके बाद जब बांग्लादेश में हालात स्थिर हुए तो वह वहां अपने देश वापस लौटीं और वहां की पीएम बनीं और अब एक बार फिर यह हालात बन चुके हैं कि उन्हें भारत में शरण लेने की राह देखनी पड़ रही है।

बांग्‍लादेश के संस्‍थापक शेख मुजीब की मूर्ति तोड़ी

शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्‍लादेश में दंगे जैसे हालात हैं। सेना ने प्रदर्शनकारियों को रोकना बंद कर दिया है। गुस्‍साए प्रदर्शनकारियों ने देश के संस्‍थापक शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति को भी हथौड़े से तोड़ दिया है। इसका टीवी पर सीधा प्रसारण किया गया है। बताया जा रहा है कि शेख हसीना दिल्‍ली पहुंचकर अपना अगला कदम उठाएंगी।

देश छोड़कर भागीं शेख हसीना

शेख हसीना अपनी बहन शेख रेहाना के साथ बांग्लादेश छोड़कर किसी विदेशी मुल्क चली गई हैं। अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि वह कहां गई हैं। ऐसी आशंका है कि वह भारत या यूएई जा सकती हैं, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है।

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