राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का एक ओर बड़ा फ़ैसला, मुख्यमंत्री भजनलाल ने गहलोत सरकार के टेंडरों पर लगाई रोक। वित्त विभाग की तरफ से शुक्रवार शाम को इसके आदेश जारी कर दिए गए हैं। आदेश में कहा गया है कि जिन कार्यों के टेंडर वर्तमान में आमंत्रित नहीं किए गए हैं उन्हें आगामी निर्देशों तक आमंत्रित नहीं किया जाए। वहीं, जिन टेंडरों के मंजूर होने के बाद उनके कार्यादेश जारी नहीं हुए, उनके कार्यादेश आगामी निर्देशों तक जारी नहीं किए जाएं।
इसके अलावा जिनके कार्यादेश जारी हो चुके हैं और काम शुरू नहीं हुआ है उन्हें भी आगामी निर्देशों तक रोका जाएगा। किसी भी तरह की खरीद और सेवा टेंडर के लिए भी रोक के निर्देश लागू होंगे। इसके अलावा जिन कार्यों की पूर्व में प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी गई है, उनके काम भी तभी शुरू हो सकते हैं जब संबंधित विभागों के मंत्री और मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाए जाएंगे। यानी मुख्यमंत्री और मंत्री स्तर पर स्वीकृति मिलने के बाद ही कोई काम आगे बढ़ाया जाएगा।
भुगतान में भारी गड़बड़ियां, योजनाओं के पैसे महीनों से अटके
वित्त मार्गेापाय विभाग के स्तर पर भुगतान प्रक्रिया में भारी गड़बड़ियों के प्रकरण सामने आए हैं। 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के बिल ट्रेजरीज में पेंडिंग पड़े हैं। बड़ी-बड़ी सरकारी योजनाएं ठप पड़ी हैं क्योंकि, वित्त विभाग के स्तर पर महीनों से किश्तें रोकी हुई हैं।
पेंशनर्स के 2500 करोड़ रुपए से ज्यादा के क्लेम महीनों से अटके पड़े हैं। सरकारी दफ्तरों में बिजली के बिल जमा करवाने तक के पैसे नहीं बचे हैं। केंद्रीय सहायता प्राप्त योजनाओं के पैसे विभागों को रिलीज नहीं किए गए और मुफ्त की योजनाओं में उन्हें खर्च कर दिया गया। एनपीएस में कर्मचारियों की कटौती कर ली गई और उस पैसे को एनएसडीएल में जमा करवाने के बजाय सामान्य राजस्व में जमाकर करवाकर खर्च कर दिया गया। जीपीएफ में भी बड़ा घोटाला सामने आया। इस तरह के कई और बड़े मामले हैं जिनकी जांच अब नई सरकार करवाएगी।
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