महाराष्ट्र में विपक्ष के महाविकास अघाड़ी गठबंधन (एमवीए) में शामिल कांग्रेस, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना और एनसीपी शरद पवार गुट ने भले ही लोकसभा चुनाव के बाद अब विधानसभा भी साथ मिलकर लड़ने का ऐलान किया है मगर उनके बीच में अभी से खटपट की खबरें सामने आने लगी हैं। तीनों पार्टियों के बीच अब चुनाव में सीएम पद के चेहरे को लेकर भी एकराय नहीं बन पा रही है।
एनसीपी (शरदचंद्र पवार) अध्यक्ष शरद पवार ने शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे को विधानसभा चुनावों के लिए मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने से इनकार कर दिया है। इससे पहले कांग्रेस ने भी इस बारे में भी किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया था। महाविकास अघाड़ी महागठबंधन की इन दोनों सहयोगी पार्टियों का बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने की वकालत करते हुए कहा था कि बिना मुख्यमंत्री चेहरे के चुनाव में उतराना खतरनाक साबित हो सकता है। राउत ने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में उद्धव ने अच्छा काम किया था और तभी लोकसभा चुनाव में हम पर लोगों ने भरोसा जताया। वहीं एनसीपी शरद पवार गुट के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम के बजाय सत्ता वापसी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
आपको बता दें कि हाल ही में विधानसभा चुनाव के लिए सीट को लेकर भी एमवीए दलों के विरोधाभासी बयान आए थे। शरद पवार ने एक बैठक के दौरान कहा था कि लोकसभा चुनाव में तो हमने कम सीटों पर समझौता कर लिया मगर अब बात बराबरी की होगी। इस दौरान उन्होंने विधानसभा की 288 सीटों में100 सीटों पर दावेदारी की बात की। वहीं, संजय राऊत का कहना है कि अभी तक सीट शेयरिंग को लेकर कोई बात नहीं हुई है, इसलिए अभी से यह नहीं कहा जा सकता कि कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा।
एमवीए में सभी वामपंथी दलों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करने वालों को शामिल करने का आह्वान करते हुए पवार ने कहा, “हाल के लोकसभा चुनावों के दौरान, पीडब्ल्यूपी (भारतीय किसान और श्रमिक पार्टी), आप और कम्युनिस्ट पार्टियों ने हमारी मदद की। हालांकि एमवीए में हम तीन भागीदार हैं, लेकिन हमें इन सभी दलों को शामिल करना चाहिए। मोदी का विरोध करने वाले सभी लोगों को एमवीए का हिस्सा बनना चाहिए। मुख्यमंत्री पद के चेहरे के बारे में जो भी निर्णय लिया जाना है, वह चर्चा के माध्यम से और सभी को विश्वास में लेने के बाद लिया जाएगा।”
इस बीच, राउत ने शनिवार को फिर कहा कि एमवीए को सीएम का चेहरा पेश करने की जरूरत है। राउत ने पहले कहा था, “मुख्यमंत्री पद के चेहरे के बिना महाराष्ट्र में चुनाव लड़ना एमवीए के लिए खतरनाक होगा। महाराष्ट्र ने देखा है कि उद्धव ठाकरे ने राज्य को कैसे संभाला, खासकर कोविड-19 के महत्वपूर्ण दौर में। लोगों ने उद्धव ठाकरे की लोकप्रियता के कारण एमवीए को वोट दिया… एक चेहराविहीन गठबंधन चुनाव जीतने में हमारी मदद नहीं करेगा।
शनिवार को राउत ने अपनी बात को पुख्ता करने के लिए इंडिया ब्लॉक के प्रदर्शन और प्रधानमंत्री पद के चेहरे की अनुपस्थिति का हवाला दिया। उन्होंने कहा, “अगर इंडिया ब्लॉक ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के चेहरे के तौर पर पेश किया होता, तो हमें 25-30 सीटें और मिल जातीं… लोगों को पता होना चाहिए कि वे किसके लिए वोट कर रहे हैं। लोगों ने इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी को वोट दिया। वे चेहरा जानना चाहते हैं। हमारे बीच इस बात को लेकर कोई मतभेद नहीं है कि हमारा मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होना चाहिए। हम एकजुट होकर चुनाव लड़ने के लिए दृढ़ हैं। हम 175 से 180 विधानसभा सीटें जीतेंगे।”
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